धन्ना भक्त को सिलबट्टे में भगवान के दर्शन हुए धन्ना ने कोन से ग्रथं पढे धन्ना के आत्म विश्वास पर भगवान सिलबट्टे में प्रकट हुए गोपियों के घर भगवान कृष्ण माखन चुराते गोपियों के भाव पर भगवान कृष्ण उनके आगे पीछे घुमते रहते थे रविदास ने कब ग्रथों को पढा उनकी कठौती में गंगा प्रकट हुई तुलसी दास ने राम राम राम जपते जपते रामायण लिख डाली
नरसी जी के भाव पर भगवान सेठ सांवरिया बन आये हम ग्रथों की रोटी की रोटी को चुर कर खाते फिर भी कोरे के कोरे रह जाते। हमे उन्हे बाहर से पढते उनकी गहराई को तभी छु सकते जब कुछ पकङ पाते हम आज अध्यातम
भाव का बनना सत्संग है।
कोई नहीं कहता आज मुझे प्रभु प्राण नाथ का अहसास हुआ आज प्रभु राम को दिल दे बैठी। नजर में नजराना हो गया। आज मेरी नजर इस जमी पे टिकती नहीं ठहर ठहर कर भाव जगता खो जाती हूँ प्रभु मे, प्रभु प्राण नाथ राम राम राम राम श्री रामश्री राम राम राम राम राम श्री रामश्री राम राम राम राम राम श्री रामश्री राम परमात्मा को प्रणाम है परमात्मा को प्रणाम है परमात्मा को प्रणाम है परमात्मा को प्रणाम है आत्मा ईश्वर है आत्मा अजर अमर आत्मा चेतन है ॐगुरु देव को प्रणाम है। कभी नैन बन्द करती कभी नैन खोलती आ रहे हैं प्रभु प्राण नाथ आ रहे हैं दिल टिकता नहीं है फिर निहारती आज बहुत उल्लास हो रहा है नैनो में प्रभु राम समा गए है। आज हनुमानजी दर्शन दे रहे हैं ऋषि मुनियों के लिए भोग बना रही हूँ । मन मन्दिर सजा है दिल थम नही रहा है अन्तर्मन मे गहराई छा गई है प्रेम की लहर उत्पन हुई है साधु और सन्तो के झुंड आ रहे हैं
अद्भुत आनंद छाया है सुबह से शाम तक भाव बनते रहे खुद तो बाहर ही खङे रहे ये ऐसे भजन है जिन्हें हमने सुबह शाम पढा पढ पढ कर पढा पढते पढते भाव तरंगे उठने लगी एक झनकार दिल में उठी ऐसे लगा जैसे वास्तव में भगवान कृष्ण खङे है दिल की क्या बताऊँ दिल कुछ बोलने समझने से परे चला गया। भजन गाने लगी तरंग थी की उठती ही जाती वाणी पर कैसे अंकुश लगाती ड्योढी का दृश्य निराला था वो खङा बांसुरी वाला था। एक गुंज है वो खङा बांसुरी वाला है बार बार दिल में उल्लास जगता प्रभु प्राण नाथ का नाम चिन्तन चल रहा है दिल में आनंद की लहरे उठ रही है नैन नीर बहा रहे हैं। परमात्मा का चिन्तन परमात्मा का वन्दन ऐसा लगा जैसे सबकुछ श्री हरि है। जय श्री राम अनीता गर्ग