1- “श्रवणभक्ति”के आचार्य “महाराज परिक्षित” हैं ।
2- “कीर्तन” के आचार्य “श्री शुकदेव जी” हैं ।
3- “स्मरण भक्ति” के आचार्य “प्रह्लाद जी” हैं ।
4- “पाद सेवन” की आचार्या “लक्ष्मी जी” हैं ।
5- “पूजन अर्चन” के आचार्य “श्री पृथु जी” हैं ।
6- “वन्दन भक्ति” के आचार्य ” श्री अक्रूर जी” हैं ।
7- “दास्य भक्ति” के आचार्य “श्री हनुमान जी” हैं ।
8- “सख्य भक्ति” के आचार्य “अर्जुन जी” हैं ।
और
9- “आत्म निवेदन” भक्ति के आचार्य “महाराज बलि” हैं ।
इस नवधा भक्ति का फल है – भगवान् श्री राम-कृष्ण की प्राप्ति ।।
1- The Acharya of “Shravan Bhakti” is “Maharaj Parikshit”. 2- The Acharya of “Kirtan” is “Shri Shukdev Ji”. 3- The Acharya of “Smarna Bhakti” is “Prahlad ji”. 4- The Acharya of “Pada Sevan” is “Lakshmi ji”. 5- The Acharya of “Poojan Archan” is “Shri Prithu Ji”. 6- The Acharya of “Vandan Bhakti” is “Shri Akrur ji”. 7- The Acharya of “Dasya Bhakti” is “Shri Hanuman ji”. 8- The Acharya of “Sakhya Bhakti” is “Arjun ji”. And 9- “Maharaj Bali” is the teacher of “self request” devotion. The fruit of this Navadha devotion is the attainment of Lord Shri Ram-Krishna.