पता नहीं ये सामने वाला सेठ हफ्ते में 3-4 बार अपनी चप्पल कैसे तोड़ लाता है?” मोची बुदबुदाया,नजर सामने की बड़ी किराना दूकान पर बैठे मोटे सेठ पर थी।
हर बार जब उस मोची के पास कोई काम ना होता तो उस सेठ का नौकर सेठ की टूटी चप्पल बनाने को दे जाता। मोची अपनी पूरी लगन से वो चप्पल सी देता की अब तो 2-3 महीने नहीं टूटने वाली।
सेठ का नौकर आता और बिना मोलभाव किये पैसे देकर उस मोची से चप्पल ले जाता।
पर 2-3 दिन बाद फिर वही चप्पल टूटी हुई उस मोची के पास पहुंच जाती।
आज फिर सुबह हुई,फिर सूरज निकला।
सेठ का नौकर दूकान की झाड़ू लगा रहा था।
और सेठ……..
अपनी चप्पल तोड़ने में लगा था ,पूरी मश्शकत के बाद जब चप्पल न टूटी तो उसने नौकर को आवाज लगाई।
“अरे रामधन इसका कुछ कर,ये मंगू भी पता नहीं कौनसे धागे से चप्पल सिलता है,टूटती ही नहीं।”
रामधन आज सारी गांठे खोल लेना चाहता था
“सेठ जी मुझे तो आपका ये हर बार का नाटक समझ में नहीं आता। खुद ही चप्पल तोड़ते हो फिर खुद ही जुडवाने के लिए उस मंगू के पास भेज देते हो।”
सेठ को चप्पल तोड़ने में सफलता मिल चुकी थी। उसने टूटी चप्पल रामधन को थमाई और रहस्य की परते खोली…
“देख रामधन जिस दिन मंगू के पास कोई ग्राहक नहीं आता उसदिन ही मैं अपनी चप्पल तोड़ता हूं…
क्यों की मुझे पता है…
मंगू गरीब है…
पर स्वाभिमानी है,
मेरे इस नाटक से अगर उसका स्वाभिमान और मेरी मदद दोनों शर्मिंदा होने से बच जाते है तो क्या बुरा है।”
आसमान साफ था पर रामधन की आँखों के बादल बरसने को बेक़रार थे..!!
जय जय श्री राधे जय श्री राम
I don’t know how this Seth in front breaks his slippers 3-4 times a week?” muttered the cobbler, looking at the fat Seth sitting at the big grocery store in front.
Every time when that cobbler did not have any work, then Seth’s servant would give Seth’s broken slippers to make. The cobbler with all his diligence would give it like a sandal that now it will not break for 2-3 months. Seth’s servant would come and take the slippers from that cobbler by paying the money without bargaining. But after 2-3 days the same broken sandal would have reached that cobbler. It was morning again today, then the sun came out. Seth’s servant was sweeping the shop.
And Seth……… He was busy breaking his slippers, when the slippers did not break after all the effort, he called the servant.
“Hey Ramdhan, do something about it, even this Mangu does not know with which thread the slippers are stitched, they do not break.”
Ramdhan wanted to untie all the knots today “Seth ji, I do not understand this drama of yours every time. You break your slippers yourself and then send them to that mangu to get yourself attached.”
Seth had succeeded in breaking the slippers. He handed over the broken slippers to Ramdhan and opened the layers of mystery… “Look Ramdhan, I break my slippers on the day when no customer comes to Mangu… Because I know… Mangu is poor… but self-respecting, If this drama of mine saves both his self-respect and my help from being embarrassed, then what is wrong.” The sky was clear but the clouds of Ramdhan’s eyes were ready to rain..!! Jai Jai Shri Radhe Jai Shri Ram
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