माता जानकी ने पूछा कि हनुमान एक बात बताओ !! बेटा तुम्हारी पूंछ नहीं जली आग में और पूरी लंका जल गई?
श्री हनुमान जी ने कहा कि माता! लंका तो सोने की है और सोना कहीं आग में जलता है क्या?
फिर कैसे जल गया? मां ने पुनः पूछा… ?
हनुमान जी बोले– माता! लंका में साधारण आग नहीं लगी थी .. पावक थी •••• !(पावक जरत देखी हनुमंता ..)
पावक ••••• ?
हाँ मां ••••• !
ये पहेलियाँ क्यों बुझा रहे हो, पावक माने तो आग ही है।
हनुमान जी बोले– न माता! यह पावक साधारण नहीं थी।
फिर ..
जो अपराध भगत कर करई। राम रोष पावक सो जरई।।
यह राम जी के रोष रूपी पावक थी जिसमे सोने की लंका जली।
तब जानकी माता बोलीं– बेटा ! आग तो अपना पराया नहीं देखती, फिर यह तो बताओ•••यह तुम्हारी पूंछ कैसे बच गई? लंका जली थी तो पूंछ भी जल जानी चाहिए थी ।
हनुमान जी ने कहा कि माता! उस आग में जलाने की शक्ति ही नहीं, बचाने की शक्ति भी बैठी थी।
मां बोली — बचाने की शक्ति कौन है?
हनुमान जी ने तो जानकी माता के चरणों में सिर रख दिया ओर कह कि माँ ! हमें पता है, प्रभु ने आपसे कह दिया था।
तुम पावक महुं करहु निवासा- –
उस पावक में तो आप बैठी थीं। तो जिस पावक में आप विराजमान हों, उस पावक से मेरी पूंछ कैसे जलेगी? माता की कृपा शक्ति ने मुझे बचाया, माँ! तुम बचाने वाली हो, आप ही भगवान की कृपा हो ..
तब माँ के मुह से निकल पड़ा ..
अजर अमर गुणनिधि सुत होउ ।करहु बहुत रघुनायक छोहु ।।
।। जय सियाराम ।।
🙏 राधे राधे 🙏
Mother Janaki asked Hanuman, tell me one thing. Son, didn’t your tail burn in the fire and the whole of Lanka burn?
Shri Hanuman ji said, Mother! Lanka is made of gold and does gold burn in fire somewhere?
Then how did it get burnt? Mother asked again…?
Hanuman ji said – Mother! There was no ordinary fire in Lanka.. it was sacred •••• !(Hanumantha saw sacred fire..) Pavak ••••• ?
Yes mother •••••!
Why are you extinguishing these riddles? If you believe me, it is fire.
Hanuman ji said– No mother! This feast was not ordinary.
Then ..
The crime committed by Bhagat. Ram’s fury is pure.
This was the fire in the form of Ram ji’s anger in which golden Lanka was burnt.
Then Janaki’s mother said – Son! Fire does not see its own strangers, then tell me how did your tail survive? If Lanka was burnt then the tail should also have been burnt.
Hanuman ji said, Mother! That fire not only had the power to burn but also the power to save.
Mother said – Who has the power to save? Hanuman ji placed his head at the feet of Janaki Mata and said, Mother! We know, the Lord told you.
I will make you a holy place –
You were sitting in that pew. So, how will my tail get burnt by the table in which you are sitting? Mother’s grace saved me, mother! You are the one who saves, you are the grace of God..
Then it came out of my mother’s mouth.
Ajar Amar Gunanidhi Sut Hou.Karahu Bahut Raghunayak Chhohu.
, Hail Siya Ram ..
🙏 Radhe Radhe 🙏