प्रभु की ओर समर्पित

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भक्त के रूप में किसी भी व्यक्ति को जीवन में कभी भी यह विचार नहीं करना चाहिए कि वह अकेला हैं, क्योंकि भले ही कोई साथ दिखे या न दिखे लेकिन परमात्मा सदैव ही साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे फिर चाहें भक्त परमात्मा पर भरोसा करें या न करें। हम में यदि किसी बात की कमी है तो मात्र समर्पण की। हम परमात्मा पर विश्वास तो करते है,किंतु पूर्ण विश्वास नही करते।इसीलिए हम समर्पण तो करते है,किंतु पूर्ण समर्पण नही कर पाते।और यही हमारी कमजोरी है।बस एक बार हृदय से पुकारे देखे प्रभु केसे दौड़े आते है।हम भगवान् से एक बार बात करने लग जाते हैं। तब अन्य से बात करने की इच्छा समाप्त हो जाती है। सुदामा पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान के द्वार आया और पूर्ण समर्पित होकर भगवान को पुकारा ,भगवान अपने दरबार से दौड़े दौड़े आए और सुदामा को ढूंढने लगे।इसी प्रकार एक बार ह्रदय से पुकारो “हे नाथ ! मैं आपका था आपका हूँ और आपका ही रहूँगा।ऐसा करने से कभी भी अकेलापन नहीं महसूस होगा, ठाकुरजी हमेशा साथ नज़र आएँगे।_ मन की हर बात, हर इच्छा, हर समस्या जो हो वह ठाकुरजी से कहे, जैसे एक माँ की नजर सदा अपने बालक पर रहती है वैसे ही प्रभु की नजर सदैव हम पर रहती है।
प्रभु की ओर समर्पित होकर देखिए जैसे गोपियाँ जब माखन बिलोती थी तो कृष्ण को याद करते हुए बिलोती थी और जब कृष्ण उनके माखन को चुराते थे तो उन्हें बहुत आनंद आता था।हम भी भोजन पकाते हुए प्रभु का ध्यान धरते है तब दिल की दशा को शब्द नहीं हैं। खो जाती हूं भगवान मे ।
*जो भी कार्य करें ठाकुरजी को समर्पित करते रहो।जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।



As a devotee, no person should ever think in life that he is alone, because even if one is seen or not seen, but God was always with, is with and will be together even if the devotee trusts in God or don’t. If anything is lacking in us, it is only surrender. We believe in God, but do not believe completely. That’s why we surrender, but we are not able to surrender completely. And this is our weakness. Just once, when we call from the heart, we come running from God. Let’s start talking once. Then the desire to talk to others is lost. Sudama came to God’s door with full devotion and devoted himself completely and cried to God, God came running from his court and started looking for Sudama. Similarly, once from the heart call out “O Nath! I belonged to you and will remain yours. By doing this one will never feel lonely, Thakurji will always be seen together. Eyes are always on us. Surrender to GOD and watch as the gopis used to cry when they used to cry, remembering Krishna and when Krishna stole their butter, they felt very happy. There are no words. I am lost in God. * Whatever work you do, keep dedicating it to Thakurji. Jai Jai Shri Radhe Krishna Ji. May Shri Hari bless you.

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