प्रेम

प्रेम एक सुबह है तो प्रेम एक शाम है,
प्रेम से मुलाकात ही प्रेम का नाम है

प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारों धाम
प्रेम एक तृष्णा है तो प्रेम शब्द बाण है।

प्रेम ही अर्पण त्याग, श्रद्धा से बलिदान है,
प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान व मन्त्र का विधान है

प्रेम की परिभाषा में संगीत, अनु-राग है,
प्रेम तो सुख दुःख और सर्वस्व, निर्वाण है

प्रेम ही तो बांसुरी की मधुर मीठी तान है,
प्रेम की अमर कहानी प्रेम का प्रमाण है।

प्रेम ही छंद, ताल और नयनों का संवाद है,
प्रेम एक गजल, दोहा, सवैया, अलंकार है।

प्रेम ही दिव्य दृष्टि, राधे-श्याम का नाम है,
प्रेम ही उपासना और प्रेम भक्ति भाव है।

प्रेम ही है सुंदर मन मेरा प्रेम ही निज धाम है..

राधे राधे जी

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