रस राज श्री कृष्ण आनन्दरूप

रस राज श्री कृष्ण आनन्दरूपी चन्द्रमा हैं और श्री प्रिया जू उनका प्रकाश है। श्री कृष्ण जी लक्ष्मी को मोहित करते हैं परन्तु श्री राधा जू अपनी सौन्दर्य सुषमा से उन श्री कृष्ण को भी मोहित करती हैं। परम प्रिय श्री राधा नाम की महिमा का स्वयं श्री कृष्ण ने इस प्रकार गान किया है-“जिस समय मैं किसी के मुख से ’रा’ अक्षर सुन लेता हूँ, उसी समय उसे अपना उत्तम भक्ति-प्रेम प्रदान कर देता हूँ और ’धा’ शब्द का उच्चारण करने पर तो मैं प्रियतमा श्री राधा का नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे-पीछे चल देता हूँ” ब्रज के रसिक संत श्री किशोरी अली जी ने इस भाव को प्रकट किया है।
आधौ नाम तारिहै राधा।
र के कहत रोग सब मिटिहैं, ध के कहत मिटै सब बाधा॥
राधा राधा नाम की महिमा, गावत वेद पुराण अगाधा।
अलि किशोरी रटौ निरंतर, वेगहि लग जाय भाव समाधा॥
राधे राधे

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