| भीष्म पंचक व्रत और महत्त ||

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धार्मिक मान्यता के अनुसार मंगल कामनों को पूरा करने वाला ये व्रत सबसे पहले स्वंय श्रीकृष्ण ने किया था। महाभारत के अनुसार कौरव-पांडवों के बीच युद्ध खत्म होने के बाद पितमाह भीष्म मृत्युशैय्या पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। पितामह ने पांच दिनों(कार्तिक माह शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा) तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म पर महत्वपूर्ण उपदेश दिए। उन्हीं पांच दिनों की स्मृति में पांच दिन का भीष्म पंचक व्रत किया जाता है ।

पुराणों तथा हिंदू धर्म ग्रंथों में कार्तिक माह में ‘भीष्म पंचक’ व्रत का विशेष महत्त्व कहा गया है। यह व्रत कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है तथा पूर्णिमा तक चलता है। भीष्म पंचक को ‘पंच भीखू’ के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथों में कार्तिक स्नान को बहुत महत्त्व दिया गया है। अतः कार्तिक स्नान करने वाले सभी लोग इस व्रत को करते हैं। भीष्म पितामह ने इस व्रत को किया था इसलिए यह ‘भीष्म पंचक’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक के अंतिम पाँच दिन पुण्यमयी तिथियाँ मानी जाती हैं। इनका बड़ा विशेष प्रभाव माना गया है। अगर कोई कार्तिक मास के सभी दिन स्नान नहीं कर पाये तो उसे अंतिम पांच दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर लेने से सम्पूर्ण कार्तिक मास के प्रातःस्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है। जैसे कहीं अनजाने में जूठा खा लिया है तो उस दोष को निवृत्त करने के लिए बाद में आँवला, बेर या गन्ना चबाया जाता है। इससे उस दोष से आदमी मुक्त होता है, बुद्धि स्वस्थ हो जाती है। जूठा खाने से बुद्धि मारी जाती है। जूठे हाथ सिर पर रखने से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, कमजोर होती है। इसी प्रकार दोषों के शमन और भगवदभक्ति की प्राप्ति के लिए कार्तिक के अंतिम पाँच दिन प्रातःस्नान, श्री विष्णुसहस्रनाम’ और ‘गीता’ पाठ विशेष लाभकारी है।

विष्णु भगवान की जय हो



According to religious belief, this fast, which fulfills the auspicious wishes, was first done by Shri Krishna himself. According to the Mahabharata, after the end of the war between the Kauravas and the Pandavas, Pitmah Bhishma was waiting for the sun to rise on his deathbed. Pitamah gave important sermons on Rajdharma, Varnadharma, Mokshadharma for five days (from Shukla Ekadashi to Purnima in Kartik month). In the memory of those five days, a five-day Bhishma Panchak fast is observed.

In the Puranas and Hindu religious texts, the special significance of ‘Bhishma Panchak’ fast in the month of Kartik has been said. This fast begins on the Ekadashi of Shukla Paksha in the month of Kartik and continues till the full moon. Bhishma Panchak is also known as ‘Panch Bhikhu’. Kartik bath has been given great importance in religious texts. Therefore, all the people who take a Kartik bath observe this fast. Bhishma Pitamah observed this fast, hence it became famous as ‘Bhishma Panchak’.

The last five days from Ekadashi to Purnima of the Shukla Paksha of Kartik month are considered to be auspicious dates. They are considered to have a great special effect. If one is not able to take bath on all the days of Kartik month, then by taking a bath before sunrise on the last five days in the morning, it is said to attain the virtues of early morning bath for the entire Kartik month. For example, if someone has inadvertently eaten the leftovers, then to get rid of that defect, later gooseberry, berry or sugarcane is chewed. By this man is freed from that defect, the intellect becomes healthy. The intellect is killed by eating leftovers. By keeping false hands on the head, the intellect gets corrupted, it becomes weak. Similarly, for the mitigation of faults and attainment of devotion to the Lord, the last five days of Kartik in the morning bath, Shri Vishnu Sahasranama and ‘Gita’ are particularly beneficial.

Glory be to Lord Vishnu

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