मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ . क्यों पिताजी ? और तुम आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो …? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ … पिताजी ! लो ये पैसे रख लो , तुम्हारे काम आ जाएंगे।
पिताजी का मन भर आया उन्हें आज अपने बेटे को दिए गए संस्कार लौटते नजर आ रहे थे।
जब मोहन स्कूल जाता था … वह पिताजी से जेब खर्च लेने में हमेशा हिचकता था , क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी . पिताजी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से घर चला पाते थे … पर माँ फिर भी उसकी जेब में कुछ सिक्के डाल देती थी … जबकि वह बार-बार मना करता था।
मोहन की पत्नी का स्वभाव भी उसके पिताजी की तरफ कुछ खास अच्छा नहीं था . वह रोज पिताजी की आदतों के बारे में कहासुनी करती थी … उसे ये बडों से टोका टाकी पसन्द नही थी … बच्चे भी दादा के कमरे में नहीं जाते , मोहन को भी देर से आने के कारण बात करने का समय नहीं मिलता।
एक दिन पिताजी का पीछा किया … आखिर पिताजी को काका के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है ? वह यह देख कर हैरान रह गया कि पिताजी तो काका के घर जाते ही नहीं हैं !
वह तो स्टेशन पर एकान्त में शून्य मनस्क एक पेड़ के सहारे घंटों बैठे रहते थे . तभी पास खड़े एक बजुर्ग , जो यह सब देख रहे थे , उन्होंने कहा … बेटा…! क्या देख रहे हो ?
जी….! वो अच्छा , तुम उस बूढ़े आदमी को देख रहे हो….? वो यहाँ अक्सर आते हैं और घंटों पेड़ तले बैठ कर सांझ ढले अपने घर लौट जाते हैं . किसी अच्छे सभ्रांत घर के लगते हैं। बेटा …! ऐसे एक नहीं अनेकों बुजुर्ग माएँ बुजुर्ग पिता तुम्हें यहाँ आसपास मिल जाएंगे !जी , मगर क्यों ?
बेटा …! जब घर में बड़े बुजुर्गों को प्यार नहीं मिलता…. उन्हें बहुत अकेलापन महसूस होता है , तो वे यहाँ वहाँ बैठ कर अपना समय काटा करते हैं !
वैसे क्या तुम्हें पता है…. बुढ़ापे में इन्सान का मन बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है . उस समय उन्हें अधिक प्यार और सम्मान की जरूरत पड़ती है , पर परिवार के सदस्य इस बात को समझ नहीं पाते, वो यही समझते हैं इन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है फिर उन्हें अकेला छोड देते हैं। कहीं साथ ले जाने से कतराते हैं। बात करना तो दूर अक्सर उनकी राय भी उन्हें कड़वी लगती है . जब कि वही बुजुर्ग अपने बच्चों को अपने अनुभवों से आनेवाले संकटों और परेशानियों से बचाने के लिए सटीक सलाह देते है।
घर लौट कर मोहन ने किसी से कुछ नहीं कहा . जब पिताजी लौटे , मोहन घर के सभी सदस्यों को देखता रहा।
किसी को भी पिताजी की चिन्ता नहीं थी। पिताजी से कोई बात नहीं करता , कोई हंसता खेलता नहीं था . जैसे पिताजी का घर में कोई अस्तित्व ही न हो ! ऐसे परिवार में पत्नी बच्चे सभी पिताजी को इग्नोर करते हुए दिखे !
सबको राह दिखाने के लिऐ आखिर मोहन ने भी अपनी पत्नी और बच्चों से बोलना बन्द कर दिया … वो काम पर जाता और वापस आता किसी से कोई बातचीत नही …! बच्चे पत्नी बोलने की कोशिश भी करते , तो वह भी इग्नोर कर काम मे डूबे रहने का नाटक करता ! !! तीन दिन मे सभी परेशान हो उठे… पत्नी , बच्चे इस उदासी का कारण जानना चाहते थे। मोहन ने अपने परिवार को अपने पास बिठाया।
उन्हें प्यार से समझाया कि मैंने तुम से चार दिन बात नहीं की तो तुम कितने परेशान हो गए ? अब सोचो तुम पिताजी के साथ ऐसा व्यवहार करके उन्हें कितना दुख दे रहे हो ?
मेरे पिताजी मुझे जान से प्यारे हैं . जैसे तुम्हारी माँ ! और फिर पिताजी के अकेले स्टेशन जाकर घंटों बैठकर रोने की बात छुपा गया . सभी को अपने बुरे व्यवहार का खेद था।
उस दिन जैसे ही पिताजी शाम को घर लौटे , तीनों बच्चे उनसे चिपट गए …! दादा जी ! आज हम आपके पास बैठेंगे…! कोई किस्सा कहानी सुनाओ ना।
पिताजी की आँखें भीग गई . वो बच्चों को लिपटकर उन्हें प्यार करने लगे . और फिर जो किस्से कहानियों का दौर शुरू हुआ वो घंटों चला . इस बीच मोहन की पत्नी उनके लिए फल तो कभी चाय नमकीन लेकर आती। पिताजी बच्चों और मोहन के साथ स्वयं भी खाते और बच्चों को भी खिलाते . अब घर का माहौल पूरी तरह बदल गया था ! !!
एक दिन मोहन बोला , पिताजी…! क्या बात है ! आजकल काका के घर नहीं जा रहे हो …? नहीं बेटा ! अब तो अपना घर ही स्वर्ग लगता है …! !!*
*आज सभी में तो नहीं लेकिन अधिकांश परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है। बहुधा आस पास के बगीचों में , बस अड्डे पर , नजदीकी रेल्वे स्टेशन पर परिवार से तिरस्कृत भरे पूरे परिवार में एकाकी जीवन बिताते हुए ऐसे कई बुजुर्ग देखने को मिल जाएंगे .
आप भी कभी न कभी अवश्य बूढ़े होंगे ही। आज नहीं तो कुछ वर्षों बाद होंगे . जीवन का सबसे बड़ा संकट है बुढ़ापा ! घर के बुजुर्ग ऐसे बूढ़े वृक्ष हैं , जो बेशक फल न देते हों पर छाँव तो देते ही हैं !अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये , उनका सम्मान भले ही न कर पाएँ , पर उन्हें तिरस्कृत मत कीजिये . उनका खयाल रखिये। आज सब सम्बन्ध पैसे के तराजू पर तोले जाते हैं। बेटा मां बाप का करना चाहता है तब बहु जीने नहीं देती है। यंहा भावनाओं का कोई मोल नहीं है
Mohan son! I am going to your uncle’s house. why dad? And you are going to uncle’s house a lot these days…? If you are agreeing, then go away… Dad! Take this money, your work will come. Father was filled with heart, he was seen returning the rites given to his son today. When Mohan went to school … he was always hesitant to take pocket money from his father , as the financial condition of the house was not good . Dad could hardly run the house by working hard… but mother still put some coins in his pocket… even though he repeatedly refused. The nature of Mohan’s wife was also not very good towards her father. She used to argue about father’s habits everyday…she didn’t like toka talki with elders…children also don’t go to dada’s room, Mohan too doesn’t get time to talk because he is late. One day the father followed… why is the father in such a hurry to go to his uncle’s house? He was surprised to see that father does not even go to uncle’s house. He used to sit alone at the station for hours with the help of a tree with zero mind. Then an elderly man standing nearby, who was watching all this, said… son…! What are you looking at ? Yes….! That’s fine, are you looking at that old man….? They come here often and sit under a tree for hours and return to their home at dusk. Looks like a good home. Son …! Not one but many elderly mothers, elderly fathers, you will be found around here! Yes, but why?
Son …! When elders do not get love in the house…. they feel very lonely, so they spend their time sitting here and there!
By the way do you know… At that time they need more love and respect, but the family members do not understand this, they understand that they have lived their life and then leave them alone. Don’t hesitate to take it anywhere. Far from talking, they often find their opinion bitter. Whereas the same elders give accurate advice to their children to save them from the troubles and troubles that come from their experiences. After returning home, Mohan did not say anything to anyone. When father returned, Mohan kept looking at all the members of the house. Nobody cared about the father. No one talks to dad, no one laughs and plays. Like father doesn’t have any existence in the house! In such a family, the wife and children were all seen ignoring the father. In order to show the way to everyone, finally Mohan also stopped speaking to his wife and children… he would go to work and come back, no conversation with anyone…! Even if the children tried to speak to the wife, she would also ignore and pretend to be immersed in work! , In three days everyone got upset… Wife, children wanted to know the reason for this sadness. Mohan made his family sit beside him.
Explained lovingly to them that if I did not talk to you for four days, then how upset did you become? Now think how much you are hurting your father by treating him like this?
My father is dear to me. like your mother! And then went to the station alone and hid the matter of crying after sitting for hours. Everyone was sorry for their bad behavior. That day as soon as the father returned home in the evening, all the three children clinged to him…! grandfather Sir ! Today we will sit with you…! Tell a story, don’t you? Dad’s eyes got wet. He wrapped the children and started loving them. And then the tales that started the round of stories went on for hours. Meanwhile, Mohan’s wife would bring him fruits and sometimes tea and snacks. Father used to eat with the children and Mohan himself and also feed the children. Now the atmosphere of the house had completely changed! , One day Mohan said, ‘Dad…! What is the matter ! Are you not going to uncle’s house nowadays? No son! Now my own home feels like heaven…! , Today, not everyone, but this is the story of the elders of most families. Often in the nearby gardens , at the bus stand , at the nearest railway station , many such elders will be seen living a lonely life in a family full of disdain from the family . You too must be old at some point. If not today, it will be in a few years. Old age is the biggest crisis of life. The elders of the house are such old trees, which undoubtedly do not give fruit, but they do give shade! To make your old age happy, do not let the elders feel lonely, they may not respect them, but do not despise them. Take care of them. Today all relationships are weighed on the scales of money. If the son wants to do the parents, then the daughter-in-law does not let him live. Feelings have no value here
One Response
Only wanna tell that this is very helpful, Thanks for taking your time to write this.