एक समय की बात है एक भाई बहन रहते थे। बहन का नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा देखे ही खाना खाती थी। हर रोज वह सुबह उठती थी और जल्दी-जल्दी सारा काम करके अपने भाई का मुंह देखने के लिए उसके घर जाती थी। एक दिन रास्ते में एक पीपल के नीचे गणेश जी की मूर्ति रखी थी। उसने भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको दीजिए। यह कहकर वह आगे बढ़ जाती थी। जंगल के झाड़ियों के कांटे उसके पैरों में चुभा करते जाते थे।
एक दिन भाई के घर पहुंची और भाई का मुंह देख कर बैठ गई, तो भाभी ने पूछा पैरों में क्या हो गया हैं। यह सुनकर उसने भाभी को जवाब दिया कि रास्ते में जंगल के झाड़ियों के गिरे हुए कांटे पांव में छुप गए हैं। जब वह वापस अपने घर आ जाए तब भाभी ने अपने पति से कहा कि रास्ते को साफ करवा दो, आपकी बहन के पांव में बहुत सारे कांटा चुभ गए हैं। भाई ने तब कुल्हाड़ी लेकर सारी झाड़ियों को काटकर रास्ता साफ कर दिया। जिससे गणेश जी का स्थान भी वहां से हट गया। यह देखकर भगवान गुस्सा हो गए और उसके भाई के प्राण हर लिए।
लोग अंतिम संस्कार के लिए जब भाई को ले जा रहे थे, तब उसकी भाभी रोते हुए लोगों से कहीं थोड़ी देर रुक जाओ, उसकी बहन आने वाली है। वह अपने भाई का मुंह देखे बिना नहीं रह सकती है। उसका यह नियम है। तब लोगों ने कहा आज तो देख लेगी पर कल कैसे देखेगी। रोज दिन की तरह बहन अपने भाई का मुंह देखने के लिए जंगल में निकली। तब जंगल में उसने देखा कि सारा रास्ता साफ किया हुआ है। जब वह आगे बढ़ी तो उसने देखा कि सिद्धिविनायक को भी वहां से हट दिया गया हैं।
तब उसने जाने से पहले गणेश जी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना और फिर बोलकर आगे निकल गई।
तब भगवान सोचने लगे अगर इसकी नहीं सुनी तो हमें कौन मानेगा, हमें कौन पूजेगा। तब सिद्धिविनायक ने उसे आवाज दी, बेटी इस खेजड़ी की सात पत्तियां लेकर जा और उसे कच्चे दूध में घोलकर भाई के उपर छींटा मार देना वह उठकर बैठ जाएगा। यह सुनकर जब बहन जब पीछे मुड़ी तो वहां कोई नहीं था। फिर वह यह सोचने लगी कि ठीक है जैसा सुना वैसा कर लेती हूं। फिर वह 7 खेजड़ी की पत्तियां लेकर अपने भाई के घर पहुंची। उसने देखा वहां कई लोग बैठे हुए हैं। भाभी बैठी रो रही और भाई की लाश रखी हैं। तब उसने उस पत्तियों को बताए हुए नियम के तहत भाई के उपर इस्तेमाल किया। तब भाई उठ कर बैठ गया। भाई बोला बहन से बोला मुझे बहुत ही गहरी नींद आ गई थी। तब बहन बोली यह नींद किसी दुश्मन को भी ना आए और उसने सारी बात अपने भाई को बता दी।
!! जय श्री गणेश !!
मात पिता के चरण में,
जग के चारों धाम।
श्रीगणेश हैं कह गये,
भजो इन्हीं का नाम।।
!! जय श्री गणेश !!
Once upon a time there lived a brother and sister. Sister’s rule was that she used to eat food only after seeing her brother’s face. Everyday she used to wake up early in the morning and go to her brother’s house to see his face after doing all the work early. One day an idol of Ganesha was kept under a peepal tree on the way. He folded hands in front of God and said that give immortal Suhag like me and immortal Pihar like me to everyone. Saying this she went ahead. The thorns of the bushes of the forest kept pricking his feet.
One day when she reached brother’s house and sat down looking at brother’s face, sister-in-law asked what happened to her feet. Hearing this, he replied to his sister-in-law that on the way the fallen thorns of the bushes of the forest were hidden in his feet. When he came back to his house, the sister-in-law told her husband to get the path cleaned, your sister’s feet were pierced by many thorns. Brother then took an ax and cleared the way by cutting all the bushes. Due to which the place of Ganesh ji was also removed from there. Seeing this, God got angry and took his brother’s life. When people were taking brother for the last rites, then his sister-in-law was crying, wait for a while, her sister is about to come. She cannot live without seeing her brother’s face. This is his rule. Then people said that she will see today but how will she see tomorrow. Like every day, the sister went out into the forest to see her brother’s face. Then in the forest he saw that the whole path was cleared. When she went ahead, she saw that Siddhivinayak had also been removed from there.
Then before leaving, she placed Ganesh ji in a good place and gave him a place and with folded hands said, God give immortal suhag like me and immortal pie like me to everyone and then she went ahead. Then God started thinking that if we do not listen to him then who will believe us, who will worship us. Then Siddhivinayak called her, daughter, take seven leaves of this khejdi and dissolve it in raw milk and sprinkle it on the brother, he will sit up. Hearing this, when the sister turned back, there was no one there. Then she started thinking that it is okay, I will do as I heard. Then she reached her brother’s house with 7 khejdi leaves. He saw many people sitting there. Sister-in-law is sitting crying and brother’s dead body is kept. Then he used those leaves on the brother according to the prescribed rule. Then the brother got up and sat down. Brother said to sister, I had a very deep sleep. Then the sister said that this sleep should not come to any enemy and she told the whole thing to her brother. , Jai Shree Ganesh !! at the feet of the parents, Around the world Shri Ganesh is said, Chant his name. , Jai Shree Ganesh !!