एक बार भगवान् शंकर पार्वतीजी के साथ नन्दी पर सवार होकर जा रहे थे। यह समझाने के लिये कि जगत के मत का क्या मूल्य है। शिवजी ने पार्वतीजी से कहा कि मैं नन्दी पर सवार हूँ और तुम पीछे-पीछे पैदल चलो। इस पर लोगों ने देखा और कहा कि यह बूढ़ा कितना नालायक और निर्दयी है कि खुद बैठ गया बैल की सवारी पर और बेचारी सुकुमारी लड़की को पैदल कर दिया है। कुछ दूर जाने पर शिवजी ने पार्वतीजी से कहा-अब आप सवारी पर बैठ जायें और मैं पैदल चलूँगा। इस प्रकार थोड़ी दूर चलने पर फिर लोग मिले और कहे कि यह बूढ़ा इतना स्त्री का गुलाम है कि खुद तो पैदल चलता है और स्त्री को बैठा दिया है बैल पर। यह स्त्रैण है। कुछ दूर जाने पर शिवजी ने कहा कि अब दोनों सवारी पर बैठ कर चलते हैं। तब फिर कुछ दूर जाने पर लोग मिले और बोले कि इनको दया भी नहीं आती, बेचारे सीधे-साधे बूढ़े जानवर पर दो-दो लोग चढ़ गये हैं।
तत्पश्चात् शिवजी ने कहा कि अब दोनों लोग उतर कर पैदल चलते हैं। आगे जाने पर फिर कुछ लोग मिले और कहने लगे कि हमने ऐसे बेवकूफ देखे ही नहीं कि सवारी साथ में है और पैदल चलते हैं। तब शिवजी ने कहा, बताओ पार्वती ! जगत् की कौन-सी बात मानें ? जगत् का यही स्वरूप है। इनकी बात मानकर बदलते चलें तो रोज-रोज बदलना पड़ेगा क्योंकि लोगों का सिद्धान्त स्थिर नहीं रहेगा। इसलिये स्वयं को जो सिद्धान्त अच्छा लगे, हृदय में प्रस्फुटित विचार जो ठीक लगे उस पर अटल रहे। जगत् अधिक-से-अधिक मूर्ख, बदमाश और जिद्दी कहेगा। उनकी इस उक्ति का वरण कर ले और अपने निश्चय किये हुए मार्ग पर चलता जाय। पागलों के द्वारा पागल कहलाने में, मूर्खों द्वारा मूर्ख कहलाने में कोई आपत्ति नहीं है।
After that Shiva said that now both the people get down and walk on foot. On going further, some people met again and started saying that we have never seen such idiots that the ride is together and they walk on foot. Then Shiva said, tell Parvati! What do you believe in the world? This is the nature of the world. If we keep changing by following them, then we will have to change every day because the principle of the people will not remain stable. Therefore, stick to the principles that you like, the thoughts that have arisen in the heart, which are right. The world will say more and more foolish, scoundrel and stubborn. Choose this statement from him and go on the path you have decided. There is no objection to being called a lunatic by a lunatic, of being called a fool by a fool.