संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा 1

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संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्री गणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। माह की किसी भी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के दौरान संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ना अथवा सुनना जरूरी होता है। इससे संबंधित चार कथाएं प्रचलित हैं।

कथा
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेश जी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेश जी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिव जी ने श्री गणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा।
तब गणेश ने कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।



By observing the Sankashti Ganesh Chaturthi fast, the calamities coming in the family are removed, the auspicious work that has been stopped for many days is completed and Lord Shri Ganesha brings immense happiness. It is necessary to read or listen to the story of Sankashti Ganesh Chaturthi fast during the worship of Lord Shri Ganesh on any Chaturthi day of the month. There are four stories related to this.

Story According to the mythological and popular Shri Ganesh Katha, once the deity was surrounded by many calamities. Then he came to Lord Shiva seeking help. At that time Kartikeya and Ganesha were also sitting with Shiva. After listening to the deities, Shiva asked Kartikeya and Ganesh ji, who among you can remove the sufferings of the gods. Then both Kartikeya and Ganesh ji declared themselves capable for this task. On this, Lord Shiva took the test of both of them and said that the first of you two who come round the earth, he will go to help the gods. On hearing this word from the mouth of Lord Shiva, Kartikeya went out to circumambulate the earth by sitting on his vehicle peacock, but Ganesh ji got into the thought that if he would climb the mouse and circumambulate the whole earth, it would take him a lot of time. . Then he got a solution. Ganesha got up from his place and sat back after circumambulating his parents seven times. On returning after circumambulating, Kartikeya started calling himself the winner. Then Shiva asked Lord Ganesha the reason for not circumambulating the earth. Then Ganesha said – ‘All the worlds are at the feet of the parents.’ Hearing this, Lord Shiva ordered Ganesha to remove the troubles of the gods. Thus Lord Shiva blessed Ganesha that the one who worships you on the day of Chaturthi and offers Arghya to the moon in the night, his three heats i.e. physical heat, divine heat and material heat will be removed. By observing this fast, all kinds of miseries of the fasting person will be removed and he will get material pleasures of life. Human happiness and prosperity will increase from all sides. There will be no dearth of sons and grandsons, wealth and opulence.

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