🕉 नम: शिवाय श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः!!
ॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते🙏* सर्वविपदविमोक्षणम्
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः॥
अर्थ:— हे विश्वेश्वरी ! तुम विश्व का पालन करती हो ।
विश्वरूपा हो, इसलिये सम्पूर्ण विश्व को धारण करती हो । तुम भगवान विश्वनाथ की भी वन्दनीया हो ।
जो लोग भक्ति पूर्वक तुम्हारे सामने मस्तक झुकाते हैं,
वे सम्पूर्ण विश्व को आश्रय देनेवाले होते हैं ॥
ॐ कालाभ्राभां कटाक्षैररिकुलभयदां मौलिबद्धेन्दुरेखां शङ्खं चक्रं कृपाणं त्रिशिखमपि करैरुद्वहन्तीं त्रिनेत्राम् ।
सिंहस्कन्धाधिरूढां त्रिभुवनमखिलं तेजसा पूरयन्तीं ध्यायेद् दुर्गां जयाख्यां त्रिदशपरिवृतां सेवितां सिद्धिकामैः॥
अर्थ:– सिद्धि की इच्छा रखने वाले पुरुष जिनकी सेवा करते हैं तथा देवता जिन्हें सब ओर से घेरे रहते हैं, उन ‘जया’ नाम वाली दुर्गा देवी अपने कटाक्षों से शत्रुसमूह को भय प्रदान करती हैं। उनके मस्तक पर आबद्ध चन्द्रमा की रेखा शोभा पाती है। वे अपने हाथों में शंख, चक्र, कृपाण और त्रिशूल धारण करती हैं। उनके तीन नेत्र हैं। वे सिंह के कंधे पर चढ़ी हुई हैं और अपने तेज से तीनों लोकों को परिपूर्ण कर रही हैं।
कल्याणवृष्टिभिरिवामृतपूरिताभि र्लक्ष्मीस्वयंवरणमङ्गलदीपिकाभिः ।
सेवाभिरम्ब तव पादसरोजमूले नाकारि किं मनसि भक्तिमतां जनानाम् ॥
अर्थ:– अम्ब ! अमृत से परिपूर्ण कल्याण की वर्षा करनेवाली एवं लक्ष्मी को स्वयं वरण करनेवाली मंगलमयी दीपमाला की भाँति आपकी सेवाओं ने आपके चरण कमलों में भक्तिभाव रखने वाले मनुष्यों के मन में क्या नहीं कर दिया ? अर्थात उनके समस्त मनोरथों को पूर्ण कर दिया।
एतावदेव जननि स्पृहणीयमास्ते त्वद्वन्दनेषु सलिलस्थगिते च नेत्रे ।
सांनिध्यमुद्यदरूणायतसोदरस्य त्वद्विग्रहस्य सुधया परयाप्लुतस्य ॥
अर्थ:– जननि ! मेरी तो बस यही स्पृहा है कि परमोत्कृष्ट सुधा से परिप्लुत तथा उदीयमान अरुणवर्ण सूर्य की समता करने वाले आपके अरुण श्रीविग्रह के संनिकट पहुँचकर आपकी वन्दनाओं के समय मेरे नेत्र अश्रुजल से परिपूर्ण हो जायें।
पाशाङ्कुशैक्षवशरासनपुष्पबाणा सा साक्षिणी विजयते तव मूर्तिरेका ॥
अर्थ:– कल्प के उपसंहार के समय ताण्डव नृत्य करने वाले खण्डपरशु देवाधिदेव परमेश्वर शंकर के लिये पाश, अंकुश, ईख का धनुष और पुष्प बाण को धारण करने वाली आपकी वह एकमात्र मूर्ति साक्षी रूप से सुशोभित होती है।
लग्नं सदा भवतु मातरिदं तवार्धं तेजः परं बहुलकुङ्कुमपङ्कशोणम् ।
भास्वत्किरीटममृतांशुकलावतंसं मध्ये त्रिकोणमुदितं परमामृतार्द्रम् ॥
अर्थ:– माता ! आपका यह अर्धांग जो परम तेजोमय, अत्यधिक कुंकुम पंक से युक्त होने के कारण अरुण, चमकदार किरीट से सुशोभित, चन्द्रकला से विभूषित, अमृत से परमार्द्र और त्रिकोण के मध्य में प्रकट है, सदा शिवजी से संलग्न रहे।
ह्रींकारमेव तव धाम तदेव रूपं त्वन्नाम सुन्दरि सरोजनिवासमूले ।
त्वत्तेजसा परिणतं वियदादिभूतं सौख्यं तनोति सरसीरुहसम्भवादेः ॥
अर्थ:– कमल पर निवास करने वाली सुन्दरि ! ‘ ह्रीं ‘ कार ही आपका धाम है, वही आपका रूप है, वही आपका नाम है और वही आपके तेज से उत्पन्न हुए आकाश आदि से क्रमशः परिणत – जगत का आदि कारण है, जो ब्रह्मा, विष्णु आदि की रचित – पालित वस्तु बनकर परम सुख देता है।
ह्रींकारत्रयसम्पुटेन महता मन्त्रेण संदीपितं स्तोत्रं यः प्रतिवासरं तव पुरो मातर्जपेन्मन्त्रवित् ।
तस्य क्षोणिभुजो भवन्ति वशगा लक्ष्मीश्चिरस्थायिनी वाणी निर्मलसूक्तिभारभरिता जागर्ति दीर्घं वयः ॥
अर्थ:– माता ! जो मन्त्रज्ञ तीन ‘ ह्रीं ‘ कार से सम्पुटित महान मन्त्र से संदीपित इस स्तोत्र का प्रतिदिन आपके समक्ष जप करता है, राजालोग उसके वशीभूत हो जाते हैं, उसकी लक्ष्मी चिरस्थायिनी हो जाती है, उसकी वाणी निर्मल सूक्तियों से परिपूर्ण हो जाती है और वह दीर्घायु हो जाता है। *“सब ते सेवक धर्म कठोरा”*
मङ्गल हो आप सभी अध्यात्म मार्ग के पथिकों का*🌹🥀🌷🔱 महादेव 🔱🌷🥀🌹* *🌹ॐ मङ्गल प्रभात🌹*
🕉 Ome: Shivaya Sri Guru Charankamalebhyo Namah!!Om Sri Kashi Vishwanath Vijayate🙏* Sarvavipadavimokshana
O Lord of the universe, Thou protectest the universe, and Thou, the universal soul, holdest the universe. Thou art worshipped, O Lord of the universe, by those who are humble in Thy devotion and take refuge in the universe.
Meaning :- O Vishweshwari! You follow the world You are universal, that’s why you hold the whole world. You are also worshiped by Lord Vishwanath. Those who bow their heads before you with devotion, He is the one who gives shelter to the whole world.
ॐ She is as bright as black clouds, and with her glances she frightens the enemies. She has a moon-line tied to her crown. One should meditate on Durga known as Jaya, riding on the shoulder of a lion, filling the entire three worlds with her effulgence, surrounded by the gods and worshiped by those desiring perfection.
Meaning:- Durga Devi named ‘Jaya’, who is served by men desirous of accomplishment and who is surrounded by gods from all sides, gives fear to the enemy group with her sarcasm. The line of the moon bound on his forehead suits him. She holds conch, disc, saber and trishul in her hands. He has three eyes. She is mounted on the shoulder of a lion and is filling all the three worlds with her effulgence.
They are like rains of auspiciousness filled with nectar O mother, by rendering service at the root of Your lotus feet, what is there in the mind of those who are devoted to You?
Meaning :- Amb! Like the auspicious Deepmala, which showers blessings full of nectar and blesses Lakshmi herself, what did your services not do in the minds of people who have devotion to your lotus feet? That means all his wishes were fulfilled.
That’s all I need, mother, to be desired when I bow to you and when my eyes are filled with tears. Your brother, whose abdomen is so red, is overwhelmed with the nectar of your encounter.
Meaning :- Mother! My only desire is that my eyes should be filled with tears at the time of your worship by reaching near your Arun Shrivigraha, which is full of supreme Sudha and equal to the rising Arunvarna sun.
With her rope, goad, eyes, bow, seat, flowers and arrows, she is the witness of Your victory.
Meaning:- That single idol of yours bearing the noose, goad, reed bow and flower arrow is adorned as a witness for Khandaparshu Devadhidev Parmeshwar Shankar, who performs Tandava dance at the end of the Kalpa.
May this mother always be attached to you, half of your splendour, with abundant saffron, mud and blood. The Supreme Personality of Godhead is adorned with a shining crown, which is adorned with nectar-like rays.
Meaning :- Mother! This half of yours, which is supremely bright, full of kumkum dust, adorned with shining crown, decorated with moon, Paramardra with nectar and manifested in the middle of the triangle, should always be attached to Lord Shiva.
O beautiful lady, at the root of the lotus abode, Your abode is the syllable hrīṁkāra. The sky, which is transformed by Your effulgence, brings happiness to all living entities, such as the lotuses and the trees.
Meaning :- The beauty who resides on the lotus! The ‘Hree’ car is your abode, it is your form, it is your name and it is the first cause of the world which is gradually transformed from the sky etc. born of your glory, which is the ultimate happiness by being created and nurtured by Brahma, Vishnu etc. gives.
Anyone who knows the mantras should chant this stotra, which is enlightened by the great mantra composed of the three oṁkāras, in your presence, O mother, every day. The arms of the Supreme Personality of Godhead are placed under His control.
Meaning :- Mother! The chanter who chants this stotra in front of you every day illuminated by the great mantra covered with three ‘Hree’ cars, kings become submissive to him, his Lakshmi becomes everlasting, his speech becomes full of pure proverbs and he lives long. goes. “Sab te servak dharma harsha”*
Good luck to all of you pilgrims on the spiritual path *🌹🥀🌷🔱 Mahadev 🔱🌷🥀🌹*