भक्त भगवान का बन जाना चाहता है

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  भक्त की भक्ति के विरह और मिलन दो अधार स्तम्भ है। भक्त के दिल को कुछ दिन ऐसा अहसास होता है कि मेरा परमात्मा मेरी हर किरया में हर स्पर्श में मेरी सांसों में समाया हुआ है। मै मेरे स्वामी भगवान् नाथ को वन्दन करते हुए दिल मे समा लेना चाहता हूं। कुछ समय ऐसा अहसास होता है कि मुझे मेरा स्वामी भगवान् नाथ दिखाई क्यों नहीं देता है। मै बस भगवान की बन जाना चाहती हूं ।भगवान मे खो जाना चाहती हूं। कोन सी वो अनमोल घङी होगी जब तुम मेरे सामने होंगे, दिल थम जाएगा, सांसे रूक जाएगी पल पल स्वामी भगवान् नाथ के दर्शन के लिए तङफता है। अहो कभी जीवन की संध्या निकट आ जाए स्वामी भगवान् नाथ से मिलन भी होगा या प्राण ही चले जाएंगे। भक्त का हर क्षण प्रभु प्राण प्यारे से मिलन के लिए तङफता है।
भक्त भगवान से शरीर से शरीर का मिलन नहीं चाहता है भक्त एक रूप चाहता है बस भगवान ही हो भक्त की भगवान को भजते हुए कोई कामना नहीं है बस भगवान को भजता रहूँ परमात्मा ने मुझ पर कितनी बड़ी कृपा की है कि मैं भगवान नाथ श्री हरी को भजता हूँ। भक्त भगवान को भजते हुए दर्शन की चाह भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। भक्त भगवान से अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता है बस भगवान को परमेश्वर श्री हरी को दिल ही दिल में मौन चिन्तन करता रहता है।हे स्वामी तु मालिक हैं पिता और माता तु ही हैं तभी घर के हर सदस्य में भगवान आप दिखाई देते हो। भगवान आपकी कृपा बनी रहे जय श्री राम अनीता गर्ग



The separation and union of the devotee are the two pillars of devotion. The heart of the devotee feels for some days that my God is absorbed in my breath in every touch in my every action. I want to take me in my heart while paying obeisance to my lord Bhagwan Nath. Sometimes I feel that why I do not see my lord Bhagwan Nath. I just want to become God’s. I want to get lost in God. Which will be that priceless clock when you are in front of me, the heart will stop, the breath will stop, moment by moment Swami taffeta to have the darshan of Bhagwan Nath. Hey, if the evening of life comes near, there will be a meeting with Swami Bhagwan Nath or life will be lost. Every moment of the devotee is taffeted for meeting with the beloved of the Lord. Devotee does not want body-to-body union with God. Devotee wants a form, it is only God. The devotee has no desire while worshiping God, just keep on worshiping God, God has given me such a great blessing that I am Lord Nath Shri Hari. I worship While worshiping the devotee God, the desire for darshan also gradually ends. The devotee does not want anything for himself from God, just keeps meditating silently in his heart to God Shri Hari. Oh lord, you are the master, you are the father and mother, only then God is visible in every member of the house. God bless you Jai Shri Ram Anita Garg

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