दिल पुकारता है तुम चले आओ

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हे दीनदयाल, हे नाथ यह आंखें यह दिल यह आत्मा तुम्हें खोज रही है तुम मुझे छोड़कर कहां चले गए हो। 
प्रभु आज क्या भुल हुई है। ये दिल पुकारता है तुम चले आओ हे प्रभु तुम हमारे स्वामी तुम प्राण प्यारे आज दिल की तमन्ना यही है कि तुम इस दास को पवित्र बनाओ।
हे प्रभु अब तो एक ही सहारा है कि तुम हमारे दिल में बस जाओ।
दिल तुम्हें पुकारता है तुम दिखाई क्यों नहीं देते
दिल की तङफ को किसे दिखाऊं
दिल में  तड़प की लहर दौड़ रही है ये नैन नीर बहातें हैं तुम चले आओ ।
प्रभु से मिलन की तङफ जिसके दिल में प्रकट हो जाती है। तब भक्त भगवान को कितना ही भजे तङफ ओर अधिक बढती जाती है भक्त अपने आप से कहता है कि देख तुने भगवान को सुबह से भजा भी नहीं है भगवान का चिन्तन  तीन चार घंटे से चल रहा होता है फिर भी भक्त सोचता है ये गहरा चिन्तन नही है ये ऊपरी मन का भाव है। गृहस्थ के कार्य कर रहा है अन्तर्मन से प्रार्थना करता है कभी शीश झुका कर नमन करता है तो कभी राम राम राम का सिमरन करता है। अपने आप को भुल जाता है  सबकुछ तु ही तु हैं।
मेरे प्रभु प्राण प्यारे जिनको मैं पल पल ध्याती हूँ। परमात्मा जी मै तुम्हारा चिन्तन करती, वन्दन और नमन करती। वे मेरे भगवान् कैसे है। वे शरीर रूप में नहीं हो सकते। हे परमात्मा जी तुम्हारा यह रुप तो मानव द्वारा निर्मित है। हे भगवान् मेरी साधना तो नही है। फिर भी मेरा दिल आपके दर्शन करना चाहता है। हे परमेशवर, हे स्वामी भगवान् नाथ जी क्या कभी मेरी मनोकामना पूर्ण होगी। हे परमात्मा जी ये दिल मेरे बस का नहीं रहा। इस दिल में तुम समा गऐ हो।अनीता गर्ग



O Deen Dayal, O Nath, this eyes, this heart, this soul is searching for you, where have you gone leaving me? Lord, what has happened today? This heart calls, you come, Lord, you are our lord, you dear life, today the desire of the heart is that you make this slave pure. Oh Lord, now there is only one support that you stay in our heart. heart calls you why don’t you see to whom should i show the side of the heart A wave of yearning is running in the heart, these nine neer sheds, you come. The side of union with the Lord is manifested in his heart. Then, no matter how much the devotee is devoted to God, the devotee tells himself that seeing that you have not even worshiped God since morning, the thought of God is going on for three to four hours, yet the devotee thinks this is not deep thinking. This is the feeling of the upper mind. He is doing the work of the householder, prays to the inner soul, sometimes bowing his head and bowing down, and sometimes Ram does simran of Ram Ram. Forgets himself, everything is you. Dear my lord, whom I meditate on every moment. God, I used to think of you, worship and bow down to you. How is he my god? They cannot be in body form. Oh God, this form of yours is created by human beings. Oh my God it is not my sadhana. Still my heart wants to see you. O Lord, O Swami Bhagwan Nath Ji, will my wish ever be fulfilled. Oh God, this heart is not in my hands. You are absorbed in this heart. Anita Garg

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