महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की प्रसन्नता एवं धन वैभव प्राप्ति के लिए यह अचूक उपाय है। इसका नित्य पाठ करना शुभकारी है, लेकिन सोमवार, अष्टमी, प्रदोष, चतुर्दशी श्रावण में इसका पाठ करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। दरिद्रता का नाश होता है। एवं धन वैभव की प्राप्ति के योग बनते हैं।
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय,
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय,
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गंगाधराय गजराज-विमर्दनाय,
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय,
उग्राय दुर्गभव-सागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय,
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मंञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय,
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय,
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय,
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय,
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय,
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय,
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय,
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय,
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।।
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं
स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।।
इस पाठ को व्यक्ति के तीनों संध्याओं में पढ़ने से रोगों, दरिद्रता का नाश हो जाता है। पुत्रपौत्रों की वृद्धि एवं घर में सुख संपत्ति, लक्ष्मी का वास होता है। अंत में स्वर्ग में स्थान पाता है।
।। ॐ नमः शिवाय ।।