।। विन्ध्येश्वरी स्तोत्र ।।
इस स्तोत्र का नौ दिन ११, २१ या ५१ पाठ पूरी श्रद्धा से करने पर अपार धन सम्पदा, यश, सुख, समृद्धि, वैभव, पराक्रम, सौभाग्य, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा सफलता के द्वार खुलने लगते हैं। ।। स्तोत्र ।।
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी।
बनेरणे प्रकाशिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,धरा विघात हारिणी।
गृहे-गृहे निवासिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
दरिद्र दुःख हारिणी,सदा विभूति कारिणी।
वियोगशोकहारिणी,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
लसत्सुलोल लोचनं,लतासनं वरप्रदं।
कपाल-शूल धारिणीं,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
कराब्जदानदाधरां,शिवाशिवां प्रदायिनी।
वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी।।
कपीन्द्र जामिनीप्रदां,त्रिधा स्वरूप धारिणी।
जले-थले निवासिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,विशाल रूप धारिणी।
महोदरे विलासिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी।।
पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्।
विशुद्धबुद्धिकारिणीं,भजामि विन्ध्यवासिनीं।।
।। इति श्रीविन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।