सबसे सुन्दर चित्र
बहुत पुरानी बात है। एक चित्रकार दुनियाका सबसे सुन्दर चित्र बनाना चाहता था। वह अपने गुरुके पास गया और उनसे पूछा – ‘गुरुदेव ! संसारकी सबसे सुन्दर वस्तु क्या है ? कृपया बतानेका कष्ट करें।’ उसके गुरु मुसकराये और बोले—‘संसारकी सबसे सुन्दर वस्तु है श्रद्धा । विश्वमें इससे सुन्दर कोई चीज नहीं है। उस श्रद्धाके दर्शन तुम्हें प्रत्येक धर्मस्थलमें हो सकते हैं।’
चित्रकार इस उत्तरसे सन्तुष्ट नहीं हुआ। वह घरकी ओर चल पड़ा। रास्तेमें उसे एक नवविवाहिता मिली। चित्रकारने उस स्त्रीसे पूछा- ‘इस संसारकी सबसे सुन्दर वस्तु क्या है?’ वह कुछ सोचकर बोली ‘सबसे सुन्दर वस्तु प्रेम है। यदि प्रेम हो तो गरीबीमें भी समृद्धि आ सकती है। प्रेमने ही तो दुनियाको जीनेलायक बनाया है।’ चित्रकार अब भी असन्तुष्ट था। थोड़ा आगे चलनेपर उसे एक सैनिक मिला। उसने उसके सामने भी अपना प्रश्न दोहराया। सैनिकने उत्तर दिया- ‘सबसे सुन्दर वस्तु है शान्ति। यदि मनमें शान्ति हो तो जीवनमें परम सुख रहता है। इसके आगे बाकी चीजें व्यर्थ लगने लगती हैं। अशान्त मनसे कोई काम नहीं हो सकता।’
चित्रकार श्रद्धा, प्रेम और शान्तिके बारेमें सोचता हुआ घरकी ओर चल पड़ा। वह सोच रहा था कि इन चीजोंको कैसे एक चित्रमें उतारे। ऐसा क्या बनाये, जिसमें ये तीनों चीजें एक साथ हों। थोड़ी ही देरमें वह घर पहुँच गया। उसकी पत्नीने मुसकराकर स्वागत किया। बच्चे दौड़ते हुए आये और उससे लिपट गये। अचानक चित्रकारको लगा कि वह जिस वस्तुको खोज रहा है, वह तो उसके घरमें ही है। उसके बच्चोंकी आँखों में श्रद्धा है, पत्नीके नैनोंसे प्रेमकी वर्षा हो रही है। उसका घर तो शान्तिका एक स्थल है, जो किसी दिव्य स्थानसे कम नहीं। चित्रकारने तुरंत चित्र बनाना शुरू कर दिया। उसने अपने घरकी एक आकर्षक तस्वीर बनायी।
घर ही सुख, शान्ति, प्रेम और श्रद्धाका मन्दिर बन सकता है।
most beautiful picture
It’s a very old matter. A painter wanted to paint the most beautiful picture in the world. He went to his teacher and asked him – ‘ Gurudev! What is the most beautiful thing in the world? Please do bother to tell. His teacher smiled and said – ‘The most beautiful thing in the world is faith. There is nothing more beautiful than this in the world. You can see that faith in every religious place.’
The painter was not satisfied with this answer. He started towards home. On the way he met a newly married woman. The painter asked the woman – ‘What is the most beautiful thing in this world?’ After thinking something, she said, ‘The most beautiful thing is love. If there is love, prosperity can come even in poverty. Love has made the world worth living.’ The painter was still dissatisfied. Walking a little further, he found a soldier. He repeated his question in front of her as well. The soldier replied – ‘The most beautiful thing is peace. If there is peace in the mind, then there is ultimate happiness in life. Other things seem pointless before this. No work can be done with a disturbed MNS.
The painter started towards home thinking of devotion, love and peace. He was thinking how to bring these things into one picture. What should be made in which all these three things are together? He reached home in no time. His wife greeted him with a smile. The children came running and hugged her. Suddenly the painter felt that the thing he was looking for was already in his house. There is reverence in the eyes of his children, it is raining love from the eyes of the wife. His home is a place of peace, which is no less than a divine place. The painter immediately started painting. He made an attractive picture of his house.
Home itself can become a temple of happiness, peace, love and devotion.