सद्गुरु बच्चा
अगर तुम शिष्य बननेको तैयार हुए, तो सारा संसार तुम्हें सद्गुरुओंसे भरा हुआ दिखायी पड़ेगा। वृक्ष, चट्टानें और झरने सभी सद्गुरु हो जायँगे । एक सूफी फकीर था – हसन जब वह मरने लगा, किसीने उससे पूछा- ‘तुम्हारा गुरु कौन था ?’ उसने कहा – ‘ फेहरिस्त बहुत बड़ी है। साँसें बहुत कम बची हैं। अगर मैं अपने सारे गुरुओंकी बात करूँ तो तुझे उतनी ही बड़ी जिन्दगी चाहिये, जितनी बड़ी जिन्दगी मैं जिया; क्योंकि जगह-जगह वे मिले।’
फिर भी उस आदमीने जिद की और कहा ‘तुम पहले सद्गुरुका नाम बता दो सिर्फ हसनने कहा- ‘मैं एक गाँवसे गुजर रहा था, बड़ा अकड़ा हुआ था; क्योंकि मैंने दर्शनशास्त्र पढ़ा था। शास्त्र कंठस्थ कर लिये थे, तर्क सीख लिये थे, इसलिये मुझमें बड़ी अकड़ थी। एक छोटे-से बच्चेको मैंने मस्जिदकी तरफ जाते देखा, वह एक हाथमें दिया लिये हुए था। मैंने उससे पूछा कि ‘दिया तूने ही जलाया है ?’ उसने कहा-‘हाँ, मैंने ही जलाया है।’ तो मैंने उससे पूछा, ‘जब तूने ही दिया जलाया है, तो तुझे पता होगा कि ज्योति कहाँसे आयी ?’ उस बच्चेने कहा- ‘ठहरो’ उसने एक फूँक मारकर दिया बुझा दिया और फिर पूछा कि ‘ज्योति कहाँ गयी; तुम बता सकते हो, वह कहाँ गयी? तुम्हारे सामने ही गयी है।’
कुछ रुककर हसनने फिर कहा-‘मेरी अकड़ टूट गयी। एक छोटे से बच्चेने मेरा दर्शनशास्त्र कूड़े करकटमें डाल दिया, आँखें खोल दीं। मैं एक छोटे बच्चेको वह सिखाने की चेष्टा कर रहा था, जो मुझे ही पता न था। मेरे गुरु होनेकी चेष्टा उसने तोड़ दी और वह मेरा पहला गुरु हो गया।’
sadguru child
If you are ready to become a disciple, then you will see the whole world full of Sadgurus. Trees, rocks and waterfalls will all become Sadguru. There was a Sufi Fakir – Hasan. When he was about to die, someone asked him – ‘Who was your teacher?’ He said – ‘The list is huge. There is very little breath left. If I talk about all my gurus, then you want as big a life as I have lived; Because they met at different places.
Even then the man insisted and said, ‘First you tell the name of Sadhguru. Only Hasan said-‘ I was passing through a village, I was very arrogant; Because I studied philosophy. Had memorized the scriptures, had learned logic, that’s why I had a lot of arrogance. I saw a small child walking towards the mosque, he was carrying a lamp in one hand. I asked him, ‘You have lit the lamp?’ He said – ‘Yes, I have lit it.’ So I asked him, ‘Since you have lit the lamp, would you know where the light came from?’ That child said – ‘Wait’ He extinguished the lamp with one blow and then asked ‘Where did the light go? Can you tell where did she go? She has gone in front of you.’
After pausing for a while Hasan then said – ‘My arrogance has broken. A small child threw my philosophy in the dustbin, opened his eyes. I was trying to teach a little kid what I didn’t know. He stopped trying to be my teacher and he became my first teacher.’