उमा संत कइ इहड़ बड़ाई । मंद करत जो करइ भलाई ॥
-तुलसीदास नीरव निशीथ संत बायजीद कब्रिस्तान जा रहे थे। रास्तेमें उन्होंने देखा, एक स्वस्थ तरुण तंबूरा बजाकर विषय – सुख ले रहा था। प्रभो! तू ही महान् और अमर है उसके समीपसे यह कहते हुए वे निकल गये। बाधा पड़ी युवकके विलासमें उसने तंबू बायजीदके सिरपर दे मारा। बायजीदका सिर तो फूटा ही, उसका
तंबूरा भी टूट गया। पर संत नम्र भावसे आगे चले गये।
दूसरे दिन उन्होंने अपने एक शिष्यको उसयुवकके पास भेजा। उसके साथ कुछ रुपये और एक थाल मिठाइयाँ थीं। संतके आदेशानुसार शिष्यने युवकसे कहा- हा – ‘बायजीदने अत्यन्त विनयपूर्वक निवेदन किया है कि आपका तँबूरा गत रात्रिमें टूट गया था, कृपया उसका मूल्य स्वीकार कर लीजिये और यह मिठाई खा लीजिये, जिससे आपका क्रोध शान्त हो जाय।’
संतका यह व्यवहार देखकर विपथगामी युवकका हृदय द्रवित हो गया। दौड़ता हुआ आकर वह संत चरणोंमें गिर पड़ा और रो-रोकर क्षमा-याचना करने लगा। उसका जीवन परिवर्तित हो गया।
– शि0 दु0
Uma Sant Kai Ehad Badai. Whatever you do good by slowing down.
Tulsidas Nirav Nishith was going to Saint Bayazid cemetery. On the way, he saw a healthy young man playing the tambourine and enjoying the pleasures of his senses. Lord! You are great and immortal, they left near him saying this. Interrupted in the youth’s luxury, he threw the tent over Bayazid’s head. Bayazid’s head exploded, his
The tambourine also broke. But the saint humbly went ahead.
The next day he sent one of his disciples to the young man. He had some rupees and a plate of sweets with him. As per the order of the saint, the disciple said to the young man – Yes – ‘Baijid has most humbly requested that your tambourine was broken last night, please accept its value and eat this sweet, which will calm your anger.’
Seeing this behavior of the saint, the heart of the wayward youth was moved. Coming running, he fell at the feet of the saint and started apologizing by crying. His life changed.