शाबाश, अक्षयकुमार
21 दिसम्बर, 1953 ई0 की घटना है। उत्तर प्रदेशके गाजीपुर जिलेके गाँधीनगर कस्बेके पासकी। ताजपुर देहमा और करीमुद्दीनपुर नामके दो छोटे स्टेशनोंके बीच किसीने रेलकी पटरियाँ उखाड़ दी थीं। फिशप्लेट हटा दिये थे ।
इण्टर में पढ़नेवाला अक्षयकुमार अपने घरसे जा रहा था कॉलेज कि अचानक उसकी नजर पड़ गयी उखड़ी हुई पटरियोंपर ।
पटरी पारकर रोज ही तो वह कॉलेज जाता था, पर पहले तो उसने कभी इस तरह पटरी उखड़ी नहीं देखी थी। और तभी उसने देखा कि एक पैसेंजर गाड़ी सामनेसे आ रही है। अब क्या होगा ?
गाड़ी आगे बढ़ी कि हजारों मुसाफिरोंकी जान खतरेमें पड़ी। जैसे भी हो, मुझे यह दुर्घटना रोकनी है, नहीं तो न जाने कितनी माताएँ निपूती हो जायँगी, कितनी बहनें विधवा हो जायँगी, कितने बच्चे अनाथ हो जायँगे।
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मौतकी रत्तीभर परवाह किये बिना अक्षय रेलकी पटरियोंके बीचमें खड़ा होकर हाथ उठा-उठाकर हिलाने लगा। पर ड्राइवरने उसके इशारोंपर कोई ध्यान नहीं दिया।
ट्रेन पूरी रफ्तारसे आगे बढ़ती आ रही थी। मिनटोंका मामला था। अक्षयको सूझा कि उसके पास लाल झण्डी तो है नहीं, हाथका इशारा ड्राइवर समझता नहीं, तो क्यों न अपना कोट उतारकर हिलाऊँ ? शायद वह समझ जाय
कोट उतारकर वह तेजीसे हिलाने लगा।
गनीमत हुई कि ड्राइवरने उसे देख लिया। गाड़ी रोकी तो अक्षयके बिलकुल पास आकर रुक सकी। मुश्किलसे दो-तीन फुटकी दूरीपर। अक्षय मुस्तैदी से खड़ा था पटरियोंके बीच
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ड्राइवर हो या गार्ड, जब इस तरह कोई आदमी चलती ट्रेनको रोकता है तो उसे गुस्सा आता ही है। खीझता हुआ ड्राइवर नीचे उतरा और अक्षयको फटकारने जा ही रहा था कि उसकी नजर सामने उखड़ी पड़ी पटरीपर पड़ी।
‘उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। ड्राइवरका हृदय गद्गद हो उठा। उसने उसे धन्यवाद दिया, पर अक्षयका काम पूरा हो चुका था। उसे कॉलेजको देर हो रही थी। वह जल्दी-जल्दी कॉलेजके लिये चल पड़ा।
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प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरूने
अक्षयकुमारको धन्यवादका तार भेजा।
गृहमन्त्री पण्डित गोविन्दवल्लभ पन्तने उसे बधाईका तार भेजा।
उस समयके मद्रासके राज्यपाल श्री श्रीप्रकाशने उसे दक्षिण भारतकी यात्राका निमन्त्रण दिया।
राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसादने सन् 1956 ई0 में अक्षयकुमारके सीनेपर अशोक चक्र (तीसरी श्रेणी) – का पदक सुशोभित किया। पत्र-पत्रिकाओंने अक्षयकी हिम्मतकी सराहना की।
शाबाश, अक्षयकुमार! [ श्रीकृष्णदत्तजी भट्ट ]
well done akshaykumar
It is an incident of December 21, 1953 AD. Near Gandhinagar town of Ghazipur district of Uttar Pradesh. Someone had uprooted the railway tracks between two small stations named Tajpur Dehma and Karimuddinpur. Fishplates were removed.
Akshay Kumar, a student studying in Intermediate, was going from his home to college when suddenly his eyes fell on the uprooted tracks.
He used to go to college every day after crossing the tracks, but earlier he had never seen tracks uprooted like this. And only then he saw that a passenger car was coming from the front. what will happen now ?
The train moved forward that the lives of thousands of passengers were in danger. Anyway, I have to stop this accident, otherwise don’t know how many mothers will become helpless, how many sisters will become widows, how many children will become orphans.
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Akshay stood in the middle of the railway tracks and started waving his hand without worrying about death. But the driver did not pay any heed to his signals.
The train was moving forward at full speed. It was a matter of minutes. Akshay thought that he does not have a red flag, the driver does not understand the hand signals, so why not take off his coat and wave? maybe he will understand
Taking off his coat, he started shaking rapidly.
Thankfully the driver saw him. When the car stopped, it could stop very close to Akshay. Hardly two to three feet away. Akshay was standing between the tracks
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Be it a driver or a guard, when a man stops a moving train like this, he gets angry. Irritated the driver got down and was about to scold Akshay that his eyes fell on the uprooted track in front of him.
‘His eyes were left torn. The driver’s heart swelled. She thanked him, but Akshay’s work was done. He was getting late for college. He hurriedly left for college.
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Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru
Sent a telegram of thanks to Akshay Kumar.
Home Minister Pandit Govindvallabh Pant sent him a congratulatory telegram.
The then Governor of Madras, Sri Sri Prakash invited him to visit South India.
In 1956, President Rajendra Prasad decorated Akshay Kumar’s chest with the Ashoka Chakra (3rd class) medal. Newspapers praised Akshay’s courage.
Well done, Akshay Kumar! [Shrikrishnadattji Bhatt]