सन् 1916 की बात है। लखनऊ में कांग्रेसका महाधिवेशन था। गांधीजी उसमें सम्मिलित होने आये थे। वहाँ राजकुमार शुक्लद्वारा किसानोंकी कष्ट-कहानी सुनकर उन्हें देखने वे चम्पारन पहुँचे । साथमें कस्तूरबा भी थीं। एक दिनकी बात है कस्तूरबा भीतिहरवा गाँवमें गयीं। वहाँ किसान औरतोंके कपड़े बहुत गंदे थे। कस्तूरबाने गाँवकी औरतोंकी एक सभा की और उन्हें समझाया कि ‘गंदगीसे तरह-तरहकी बीमारियाँ होती हैं। और कपड़ा धोनेमें कोई ज्यादा खर्च भी नहीं पड़ता, अतः उन्हें साफ रहना चाहिये।’
इसपर एक गरीब किसानकी औरत, जिसके कपड़े बहुत गंदे थे, कस्तूरबाको अपनी झोंपड़ीमें ले गयी और अपनी झोंपड़ीको दिखलाकर बोली ‘माताजी! देखो, मेरे घरमें कुछ नहीं है। बस, मेरीदेहपर यह एक ही धोती है; आप ही बतलाइये, मैं क्या पहनकर धोती साफ करूँ? आप गांधीजीसे कहकर मुझे एक धोती दिलवा दें तो फिर मैं रोज स्नान करूँ और कपड़े साफ रखूँ।’
कस्तूरबा गांधीजीको उसकी स्थिति बतलायी । गांधीजीपर इसका विचित्र प्रभाव पड़ा। उन्होंने सोचा, ‘इसकी तरह तो देशमें लाखों बहनें होंगी। जब इन सभीको तन ढकनेके कपड़े नहीं हैं, तो फिर मैं क्यों कुर्ता, धोती और चादर पहनने लगा ? जब मेरी लाखों बहनोंको गरीबीके कारण तन ढकनेको कपड़े नहीं मिलते तो मुझे इतने कपड़े पहननेका क्या हक है ?’ बस, उसी दिनसे उन्होंने केवल लंगोटी पहनकर तन ढकनेकी प्रतिज्ञा कर ली।
– जा0 श0
(बापूकी कहानियाँ, भाग 2 )
It is about the year 1916. There was a Congress convention in Lucknow. Gandhiji had come to participate in it. There Rajkumar Shukla reached Champaran to see the farmers after hearing their story of suffering. Kasturba was also with him. It is a matter of one day that Kasturba went to Bhitiharwa village. There the clothes of the peasant women were very dirty. Kasturbane held a meeting of the women of the village and explained to them that ‘dirt causes various diseases’. And it doesn’t cost much to wash clothes, so they should be clean.’
On this a poor farmer’s woman, whose clothes were very dirty, took Kasturba to her hut and after showing her the hut said, ‘ Mother! Look, there is nothing in my house. That’s all, it only washes my body; You tell me, what should I wear to clean the dhoti? Ask Gandhiji to get me a dhoti, then I will take bath everyday and keep my clothes clean.’
Kasturba told his condition to Gandhiji. It had a strange effect on Gandhiji. He thought, ‘There must be lakhs of sisters like this in the country. When all of them do not have clothes to cover their body, then why did I start wearing kurta, dhoti and chadar? When lakhs of my sisters do not get clothes to cover their bodies due to poverty, then what right do I have to wear so many clothes?’ That’s all, from the same day he took a vow to cover his body by wearing only a loincloth.
– Ja0 Sh0
(Bapu’s Stories, Part 2)