एक बार एक राजपूत के घर की एक स्त्री स्नान कर रही थी,
तभी संयोग से वहाँ से एक राजा की सवारी निकल रही थी,
हाथी पर बैठे राजा को अकस्मात स्त्री का चेहरा व गर्दन तक तन दिखा,
व राजपूत स्त्री से राजा की नज़र भी टकरा गयी,
तब तुरंत राजा हाथी से उतर गए और पैदल चलने लगे,
राजा के एक सुरक्षा-कर्मी ने राजा से पैदल चलने का कारण पूछा !!
तब राजा ने कहा: हाथी पर बैठने के कारण मैंने अनजाने में एक राजपूत स्त्री की हत्या कर दी इसलिए मैं अब से भविष्य में कभी हाथी की सवारी नहीं करूंगा”.
और वास्तव में अगली सुबह खबर मिली की उक्त राजपूत घर की स्त्री ने अत्महत्या कर अपने प्राण त्याग दिये…..
मेरे भाइयों बहनों ऐसा रहा हैं राजपूतों की मर्यादित और गरिमामय जीवन और ऐसी होती थी नज़रों की लाज-शरम अतः मेरा आप से निवेदन हैं कि पुरखों की अर्जित की हुई महानता का को याद रखे, भले आज के दौर में आधुनिक बने पर अपने कुल-वंश की मर्यादा व गरिमा को कभी नज़रअंदाज़ ना करे एवं सदा गरिमामय मर्यादित क्षात्र-धर्म के सिद्धांतों का पालन करे।
जय मां भवानी 🙏