रसोपासना – भाग-23 “भोजन कुञ्ज”- अद्भुत झाँकी


जहाँ प्रेम प्रकट हो जाता है…वहीं “माधुर्य” का प्रकटीकरण होता है ।

जहाँ ईश्वर भाव जाग्रत होता है… वहाँ “ऐश्वर्य” का प्राकट्य होता है ।

हमारे वृन्दावनीय रसोपासना में कहा जाता है… द्वारिका की लीला से श्रेष्ठ मथुरा की लीला है… पर मथुरा की लीला से भी श्रेष्ठ वन की लीला है…पर वन की लीला से भी श्रेष्ठ “निकुञ्ज की लीला है”… क्यों कि वन की लीला में फिर भी अघासुर बकासुर जैसे राक्षसों को मारने के लिये कुछ ऐश्वर्य का आधार श्री कृष्ण चन्द्र जु को लेना पड़ता है….. पर निकुञ्ज लीला में तो विशुद्ध माधुर्य का समुद्र जो उछलता है… वो अद्भुत है… निकुञ्ज की लीला में तो ऐश्वर्य का दूर दूर तक नामोनिशान नही है ।

क्यों कि प्रेम जहाँ पूर्ण विशुद्ध होता है… वहाँ ऐश्वर्य नही रहता… मात्र माधुर्य ही माधुर्य रहता है ।

अच्छा ! आप लोग नित्य – रसोपासना में दर्शन कर रहे हो निकुञ्ज के युगल सरकार का… कहीं भी ऐश्वर्य आपको दिखाई देता है ?

श्याम सुन्दर में ईश्वरता दिखाई देती है ?

नही… दूर दूर तक नही… तभी तो श्रीजी के चरणों में अपना मुकुट रखते हुए श्याम सुन्दर धन्य धन्य अनुभव करते हैं ।

क्यों कि प्रेम में बड़प्पन खतम हो जाता है… मैं बड़ा हूँ ये भाव आया कि… प्रेम खत्म हो गया… प्रेम में तो मैं छोटा हूँ… बहुत छोटा… और मेरा “प्रेमास्पद” सबसे बड़ा… सबसे बड़ा ।

आहा ! चलिये ! निकुञ्ज में… दर्शन कीजिये युगल के माधुर्य रस का… उछलता हुआ, उमड़ता हुआ माधुर्य रस ।

ये रस भी तो स्वयं युगल ही हैं – आहा !!🙏


होरी खेलते हुए थक गए युगलवर… माथे में पसीने की बूँदें झलक रही थीं… अबीर गुलाल की इतनी धूम मचाई कि थक गए अब ये युगल ।

सखियों ने सम्भाला युगल को…

अरी सखियों ! अब चलो इन्हें लेकर “भोजन कुञ्ज” में !

रंगदेवी ने कहा ।

देखो तो ! दिन भर होरी खेलते हुए थकान अब इनके मुखारविन्द पर स्पष्ट दिखाई दे रही है… भूख के मारे इनका कमल जैसा मुखारविन्द कैसा कुम्हला सा गया है… चलो सखियों ! अब इनके लिये राजभोग की तैयारी करवाओ ।

ऐसा कहते हुए सखियाँ युगल को सम्भाले… भोजन कुञ्ज में ले गयीं… दोपहर का समय है ये… और “राजभोग” दोपहर के भोजन के लिये ही कहा जाता है ।

सुन्दर “भोजन कुञ्ज” है… अभी अभी होरी हुयी है… तो भोजन कुञ्ज में जाने से पहले वहीं एक सुन्दर सा सरोवर है… उस सरोवर का जल कमल की सुगन्ध से भरा हुआ है… उसी में जाकर युगल के मुख और हाथ सखियों ने धुलवाए…मध्यान्ह का समय है ।

“भोजन कुञ्ज” बड़ा ही सुन्दर और शीतल है… मोगरा, बेला, चमेली, गुलाब के नाना फूलों से सजा हुआ कुञ्ज है ।

कुञ्ज के मध्य में एक फूलों की चौकी है… उस चौकी में युगल को विराजमान कराया…

हे चम्पकलता सखी !

क्या अभी तक युगल के लिये भोग तैयार नही हुआ ?

ललिता रंगदेवी आदि सखियों ने चम्पकलता से पूछा था ।

सब तैयार है… बस युगल की ही प्रतीक्षा थी… मैं तुरन्त लगवाती हूँ भोग ।… मुस्कुराते हुए चम्पकलता सखी ने कहा… और अपनी सखियों को आदेश दिया…

देखते ही देखते… युगल के सामने एक सोने की चौकी लगाई गयी… उसमें सुन्दर सा पीला वस्त्र बिछाया…सुवर्ण की दो थाल… उसमें चाँदी की छोटी छोटी कटोरियाँ…कई कटोरियाँ ।

परोसने के लिये सभी सखियाँ तत्पर हो गयीं हैं ।

दर्शन कीजिये इन लाडिली लाल के… जो भोजन कुञ्ज में विराजे हैं ।

🙏”भोजन कुञ्ज में आये दोउ, भोजन करत सुहाये दोउ !
हितू सहेली हित चित अनुसर, करि आदर पधराये दोउ !!
विधि पूर्वक बैठे आसन पर, अंग अंग सचुपाये दोउ !!
“श्रीहरिप्रिया” आरोगत रूचि सौं, विविध भाँती मन भाये दोउ !

युगल के सामने चौकी है… सुवर्ण की चौकी… उसमें थाल है… सखियों ने छ: रसों से युक्त भोजन उसमें परोसना शुरू किया ।

छप्पन भोग है… छत्तीस व्यंजन हैं…सजाकर रखती हैं सखियाँ ।

श्याम सुन्दर उन व्यंजनों को देखते हैं… और आनन्दित होते है ।

रंग बिरंगी सुन्दर सुन्दर सखियाँ युगल के स्वादानुसार रूचि अनुसार भोग रखती जा रही हैं ।

सखियों ! ये पाक किसने तैयार की ? श्याम सुन्दर ने पूछा ।

हे श्याम सुन्दर ! चम्पकलता सखी पाक कला में निपुण हैं…उन्होंने ने ही ये पाक तैयार की है… रंगदेवी ने सबके सामने कहा ।

आहा ! क्या अच्छी सुगन्ध है भोजन की… सच में हे चम्पकलता ! तुमने तो पाक कला के सारे व्यंजन ही बनाकर हमें आनन्दित कर दिया । फिर श्रीजी की ओर देखते हुए बोले – हे प्यारी ! देखो तो… कितने सुन्दर व्यंजन और पकवान हैं ।

श्रीजी हँसीं… और बोली… हे प्यारे ! आप केवल बातें ही बनाते रहोगे… या भोग आरोगोगे भी…

पर श्याम सुन्दर बहुत प्रसन्न हैं और बस भोजन को ही देख रहे हैं ।

सखियों ने कहा…आप भोजन शुरू तो कीजिये..!

…या मात्र देखते ही रहोगे लाल जु !

मैं ऐसे कैसे खाऊँ ? पहले भोजन का भोग तो लगे !

श्याम सुन्दर ने गम्भीरता में कहा ।

अब किसको भोग लगाओगे प्यारे ! सखियों ने हँसते हुए पूछा ।

हमारी इष्ट तो एक मात्र… श्रीजी… ही हैं ।

इतना कहकर श्रीजी की ओर निहारा श्याम सुन्दर ने ।

श्रीजी कुछ नही बोलीं ।

श्याम सुन्दर ने एक ग्रास लिया… प्रथम ग्रास… और श्रीजी के मुख में दिया… श्रीजी ने संकोचवश एक बार मना किया… पर मुखारविन्द से छुवा कर श्याम सुन्दर ने अपने मुख में डाल लिया था ।

सखियाँ इस झांकी का दर्शन कर आनन्दित हो रही थीं ।

अब तो श्री जी उन्मुक्त भाव से श्याम सुन्दर को पवा रही हैं… और श्याम सुन्दर श्रीजी को…

सब सखियाँ नाच रही हैं… वाद्य बजा रही हैं… झूम रही हैं ।

प्रिया लाल को इधर उधर देखने का अवकाश भी नही है… ये दोनों तो एक दूसरे को भोजन पवाने में ही मस्त हैं… आहा !

और तब समस्त सखियाँ भाव समुद्र में डूबी हुयी यही प्रार्थना करती हैं कि – “ऐसे रूपरसिक की छवि पर हमारी अखियाँ अटकी रहें” ।

पर रंगदेवी सावधान करती हैं…”नही हमें ज्यादा रस में डूबना नही है”…युगल की थाली खाली हो रही है !

इतना सुनते ही… नाचना गाना छोड़कर सखियाँ बलिहारी जाती हुयी… “थोड़ा और… थोडा और” का निहोरा करती हैं ।

“राजभोग” युगल का पूरा हुआ…”जल झारी से हाथ और मुख धुलवाए गए”…चौकी थाली सहित हटा दी गयी…सब सखियाँ युगल का प्रसाद पाती हैं…वो प्रसाद उनके अंतर में जाते ही… दिव्य प्रेम की अनुभूति करा देता है ।

अब ललिता सखी बीरी (पान) रखकर लायी हैं… लाल जु के हाथ में देती हैं… श्याम सुन्दर पान लेकर जैसे ही प्रिया जु को पवाने के लिये अपने हाथ बढ़ाते हैं… श्रीजी मना कर देती हैं ।

उसी समय मुखमण्डल श्याम सुन्दर का कुम्हला जाता है… और दुःखी होकर पान अपने मुख में रख लेते हैं ।

सखियाँ इशारे में श्रीजी को बताती हैं… कि आपके मना करने पर देखो ! कैसे उदास हो गए श्याम सुन्दर ।

तब श्याम सुन्दर से कहती हैं श्रीजी… प्यारे ! आपके मुख में कुछ चला गया है… आप थोड़ा मुँह खोलिये तो ।

क्या चला गया ? प्रेमरस में भींगे श्याम सुन्दर पूछते हैं ।

भोले बनकर पूछते हैं श्रीजी से… तब चर्बित पान श्याम सुन्दर के मुख से लेकर… अपने मुख में डाल लेती हैं श्रीजी ।

सखियाँ हँसती हैं… ताली बजाकर हँसती हैं…

और जयजयकार का उदघोष करती हैं…

🙏जय जय श्री राधे… जय जय श्रीराधे… जय जय श्री राधे ! !🙏

शेष “रसचर्चा” कल…

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷



Where love is manifested… there is the manifestation of “sweetness”.

Where God consciousness is awakened… there “Aishwarya” appears.

It is said in our Vrindavan Rasopasana… The Leela of Mathura is better than the Leela of Dwarka… But the Leela of the forest is better than the Leela of Mathura… But the Leela of Nikunj is better than the Leela of the forest… because in the Leela of the forest Even then, to kill demons like Aghasur, Bakasur, Shri Krishna Chandra Ju has to take the basis of some opulence….But in Nikunj Leela, the sea of ​​pure sweetness that jumps… It is amazing… In Nikunj Leela, the opulence is far away. There is no name sign till far.

Because where love is completely pure… there is no opulence… only sweetness remains.

Good ! You people are seeing Nikunj’s couple Sarkar in daily cooking… Do you see the opulence anywhere?

Is godliness visible in Shyam Sundar?

No…not far away…that is why Shyam Sundar feels blessed by keeping his crown at the feet of Shreeji.

Because greatness ends in love… I am big… the feeling came that… love is over… I am small in love… very small… and my “beloved” is the biggest… the biggest.

Aha ! Let’s go! In the park… Darshan of the couple’s sweetness… Bouncing, overflowing sweetness.

These juices are also couples themselves – aha!!🙏

The couple got tired of playing Hori… Drops of sweat were visible on their forehead… Abir Gulal was made so much that the couple is tired now.

Friends took care of the couple…

Hey friends! Now let’s take them to the “Bhojan Kunj”!

Rangadevi said.

Look at it! The tiredness of playing hori all day is now clearly visible on her vocal cords… Her lotus-like vocal cord has dried up due to hunger… Come on, friends! Now get the preparations for Rajbhog done for them.

Saying this, the friends took care of the couple… took them to the food hall… it is afternoon time… and “Rajbhog” is called for lunch only.

There is a beautiful “Bhojan Kunj”… Hori has just happened… So before going to the Bhojan Kunj, there is a beautiful lake… The water of that lake is full of the fragrance of lotus… By going into it, the friends washed the face and hands of the couple. … It’s noon time.

“Bhojan Kunj” is very beautiful and cool… The kunj is decorated with various flowers like mogra, bella, jasmine, rose.

There is a flower post in the middle of the kunj… the couple was made to sit in that post…

O Champakalta Sakhi!

Is the Bhog not ready for the couple yet?

Lalita Rangdevi etc. friends had asked Champaklata.

Everything is ready… Just waiting for the couple… I will get the bhog done immediately… Smiling Champakalata Sakhi said… and ordered her friends…

In no time… a golden post was placed in front of the couple… a beautiful yellow cloth was laid on it… two golden plates… small silver bowls… many bowls in it.

All the friends are ready to serve.

Have darshan of this dear Lal… who is sitting in the food hall.

🙏” Come to the food court, let me eat comfortably! Your friend, according to your interest, give me respect!! Sitting on the seat methodically, let me hide my organs!! “Sri Haripriya” is interested in health, please give me variety!

There is a chowki in front of the couple… golden chowki… there is a plate in it… the friends started serving food containing six juices in it.

There are fifty-six indulgences…there are thirty-six dishes…the friends keep them decorated.

Shyam Sundar sees those dishes… and rejoices.

Colourful, beautiful and beautiful friends are keeping enjoyment according to the taste of the couple.

Friends! Who prepared this Pak? Shyam Sundar asked.

Hey Shyam Sundar! Champakalata sakhi is expert in culinary art…she has prepared this pak… Rangdevi said in front of everyone.

Ouch! What a nice smell of food… Really it is Champakalata! You made us happy by making all the dishes of cooking. Then looking at Shreeji said – Oh dear! Look… there are so many beautiful dishes and dishes.

Shreeji laughed… and said… Oh dear! You will only keep talking… or you will also get cured…

But Shyam Sundar is very happy and is just looking at the food.

Friends said… at least you start eating..!

… Or will you just keep watching Lal Ju!

how do i eat like this At least enjoy the food first!

Shyam Sundar said seriously.

Whom will you enjoy now dear! The friends asked laughing.

Our favorite is only… Shreeji… only.

Having said this, Shyam Sundar looked at Shreeji.

Shreeji did not say anything.

Shyam Sundar took a morsel… first morsel… and gave it to Shreeji’s mouth… Shreeji hesitantly refused once… but Shyam Sundar put it in his mouth by touching it with Mukharvind.

Friends were rejoicing on seeing this tableau.

Now Shree ji is getting Shyam Sundar freed… and Shyam Sundar Shreeji…

All the friends are dancing… playing instruments… dancing.

Priya Lal doesn’t even have time to look here and there… Both of them are engrossed in getting each other food… Aha!

And then all the friends drowned in the sea of ​​emotions pray that – “May our eyes be fixed on the image of such a beauty”.

But Rangdevi cautions…”No, we don’t want to drown in too much juice”…the couple’s plate is getting empty!

On hearing this much… leaving the singing and dancing, the friends went to Balihari… “a little more… a little more”.

“Rajbhog” of the couple is over… “Hands and face are washed with Jal Jhari”… Chowki is removed along with the plate… All the friends get the prasad of the couple… As soon as that prasad goes inside them… it gives a feeling of divine love.

Now Lalita’s friend has brought beeri (paan)… hands it to Lal Ju… As soon as Shyam takes Sundar Paan and extends his hand to get Priya Ju… Shreeji refuses.

At the same time, the face of Shyam Sundar becomes dry… and being sad, they keep the paan in their mouth.

The friends tell Shreeji in a gesture… that look at your refusal! Shyam Sundar became sad.

Then Shreeji says to Shyam Sundar… Dear! Something has gone into your mouth… If you open your mouth a little.

what’s gone Drenched in love, Shyam Sundar asks.

Innocently, they ask Shreeji… Then Shreeji takes the fat paan from the mouth of Shyam Sundar… Shreeji puts it in his mouth.

Friends laugh… Laugh by clapping…

And shout out cheers…

🙏Jai Jai Shri Radhe… Jai Jai Shri Radhe… Jai Jai Shri Radhe ! !🙏

The rest of the “Ruscharcha” tomorrow…

🚩Jai Shri Radhe Krishna🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷

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