आज के विचार
🙏( “रसाद्वैत” – दो एकही भये )🙏
!!
🙏अब दोनों एक होंगे…अब श्रृंगार रस की बाढ़ में पूरा निकुञ्ज डूबेगा…दो का भेद मिटेगा…कौन क्या है… अजी ! ये प्रेम है…बिना भेद मिटाये ये मानता कहाँ है ?
और रसोपासना का लक्ष्य भी तो यही है…अद्वैत… नही नही… शुष्क अद्वैत नही…रसाद्वैत… अब न श्रीकिशोरी जी हैं न श्रीश्याम सुन्दर…बस रस ही रस है…इस रस में “रस” ही हो जाना, यही है इस उपासना की परिणति…उफ़ !
🙏सखियाँ सुमन सेज पर युगल को छोड़कर बाहर चली गयीं हैं…पर जाना कहाँ ? यहीं दर्शन करेंगी इनके एक होने का…यही तो साक्षी हैं…कि ये दो नही हैं…ये एक हैं…बस रस की तरंगें उठती हैं…तो लगता है…दो हैं…पर नही… ये एक ही हैं ।
सखियाँ गयीं हैं इनको एकांत देकर…पर दर्शन कर रही हैं बाहर से ।🙏
वो चंचला विद्युत दब गयी हैं…काले मेघ के भार से…
रसिक रसीली श्याम के उर पर खेल रही हैं…कभी ।
कभी, प्यासे मेघ को अपने अरुण अधर से जल पिला रही हैं ।
उस समय ऐसी छटा कि शब्द भी मौन हो जाएँ…लगे कि… कहें नहीं…बस दर्शन करें… और उस दिव्य रस में डूब जाएँ ।
अधंकार और प्रकाश का मानो निकुञ्ज मे मिलन हो रहा है…
अमावस और पूर्णिमा एक साथ नृत्य कर रहे हैं सेज पर ।
गौर और श्याम का क्या अद्भुत खेल चल रहा है…
🙏सखी ! देखो ! ऐसा लग रहा है…जैसे – पूर्ण चन्द्रमा की उपस्थिति में काले बादल घुमड़ आये हैं…और दोनों ही दिख रहे हैं… और दोनों ही मत्त होकर मिल रहे हैं…एक दूसरे में घुल मिल रहे हैं…
🙏मणि और मोतिन के हार अब बाधा दे रहे हैं…क्यों कि दोनों को मिलना है…नही नही…मिलना नही है…”एक” होना है…अब “दो” रहना इनके लिये असह्य है ।
हार को उतार दिया… अब कंचुकी बहुत बड़ी बाधा है…इस एक होने में कंचुकी का क्या काम… वो ढीली पड़ कर स्वयं मेव ही उतर गयी है…बिजली सी चकाचौंध पूरे महल में…
🙏हे प्राण ! मेरे अंजन बनो ! पुकार उठती हैं श्यामा ।
कस्तूरी का तिलक बनकर मेरे माथे को आलोकित करो ।
🙏हे मेरे प्रियतम ! सौभाग्य के केंद्र बिन्दु बनो… और मेरे केशों को बिखेर दो… उनमें तुम महकों…शीतल स्पर्श से चन्दन और कस्तूरी का लेप बनकर मेरे उरोजों में आलिप्त हो जाओ…हृदय के आनन्द बनो… हे मेरे प्राण धन ! मेरे मुख पर कुन्तल बनकर तुम ही कमल के ऊपर मंडराते भ्रमर का भ्रम पैदा करो…श्रीजी इतना कहते हुये अपने प्राणधन के बाहों में बिखर गयीं ।
श्याम, श्रीजी के बाहों में… और श्रीजी श्याम के…
🙏दोनों का रंग एक होने लगा…दोनों की साँसे एक होने लगीं…दोनों की धड़कनें एक होने लगीं…अब कौन क्या है किसी को समझ नही आरहा… सखियाँ इस झाँकी का दर्शन कर देह भान भूल गयीं…पूरा निकुञ्ज उन्मत्त हो उठा… श्रृंगार रस की ऊँची ऊँची लहरें उठने लगीं…. रस पगला गया ।
🙏तन मन मिली एकत भये जु, बिच न समावत हार !
निज दासी जहाँ निकट निहारति, “श्रीहरिप्रिया” सुखसार !!
🙏बोलो…रसिक राज राजेश्वर युगल सरकार की जै !!🙏
शेष “रस चर्चा” कल –
🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩
thoughts of the day
🙏(“Rasadvaita” – Two are the same)🙏 ,
🙏 Now both will be one… Now the whole Nikunj will drown in the flood of Shringar Ras… The difference between the two will disappear… Who is what… Aji! This is love… where does it believe without erasing the differences?
And this is also the goal of Rasopasana… Advaita… no no… not dry Advaita… Rasadvaita… now there is neither Shrikishori ji nor Shri Shyam Sundar… there is only juice… to become “juice” in this juice, this is the essence of this worship Consequences… Oops!
🙏 The friends have gone out leaving the couple on Suman SEZ… but where to go? You will see here that they are one…this is the witness…that they are not two…they are one…just waves of rasa arise…it seems…they are two…but no…they are one.
Friends have gone, giving them solitude… but they are having darshan from outside.🙏
That fickle lightning has been suppressed… by the weight of the dark cloud…
Rasik Rasili is playing on Shyam’s ur… ever.
Sometimes, she is giving water to the thirsty cloud from her Arun Adhar.
At that time there was such a hue that even the words became silent… felt like… say no… just have a darshan… and get drowned in that divine rasa.
The song of darkness and light is meeting in Nikunj…
Amavas and Poornima are dancing together on the sage.
What a wonderful game of Gaur and Shyam is going on…
🙏 Friend! See ! It looks like… as if in the presence of the full moon the dark clouds have rolled around… and both are visible… and both are getting intoxicated… dissolving in each other…
🙏 The necklaces of Mani and Motin are now obstructing… because both have to meet… no no… do not meet… have to be “one”… now being “two” is unbearable for them.
Took off the necklace… Now Kanchuki is a big hindrance… What is the use of Kanchuki in this oneness… She herself has descended to Meo… Dazzle like lightning in the whole palace…
🙏 Hey life! Be my friend! Shyama cries out.
Illuminate my forehead by becoming a tilak of musk.
🙏 Oh my dear! Be the focal point of good luck… and spread my hair… You fragrance in them… Become a paste of sandalwood and musk with a cool touch and get attached to my breasts… Be the joy of the heart… Oh my life wealth! By becoming Kuntal on my face, you create the illusion of Bhramar hovering over the lotus… Saying this Shreeji scattered in the arms of her life.
Shyam, in Shreeji’s arms… and Shreeji in Shyam’s…
🙏 The color of both started becoming the same…the breath of both started becoming the same…the heartbeat of both started becoming the same…now no one is able to understand who is what…the friends forgot their body after seeing this tableau…the whole Nikunj became frantic…makeup High waves of juice started rising…. Ras has gone mad.
🙏Tan Man Mili Ekat Bhaye Ju, Bich Na Samawat Har ! Nij Dasi Jahan Nikat Niharati, “Sriharipriya” Sukhsar!!
🙏 Speak… Hail the rasik Raj Rajeshwar couple government!!🙏
The rest of “Juice Discussion” tomorrow –
🚩Jai Shri Radhe Krishna🚩