रसोपासना – भाग-13 सखी ! देखो री अद्भुत विलास


!


अन्तःकरण को रंग दो “निकुँजरस” में !

..इससे क्या लाभ ?

“मुझे प्रसन्नता है कि मेरे इस “रसोपासना” लिखने का लाभ लोगों को मिल रहा है… मेरे पाँच साधकों ने इन 8 दिनों में मुझे बताया है कि – “हमें सपनें में यमुना जी और उनके घाट के दर्शन हुए”…एक ने कहा… “युगल सरकार के तो दर्शन नही हुए… पर अनन्त सखियाँ थीं… वो सब दिव्य कुञ्जों में बैठकर कुछ गा रही थीं”…एक साधिका ने कहा… “सपनें में हमने देखा कि सखियाँ युगलसरकार का प्रसाद बाँट रही थीं… मैंने भी हाथ बढ़ाया तो बीरी (पान ) का प्रसाद मुझे मिला… जब नींद खुली तो पान का दिव्य स्वाद मुख में था”… एक ने तो कहा… “दिव्य निकुञ्ज था… आप जैसा वर्णन करते हैं वैसा ही मैं खो गयी थी वहाँ… पर मैंने एकाएक तेज़ प्रकाश का अनुभव किया… उसमें सखियाँ मुझे दिखाई दीं… वो सब युगलमन्त्र का गान कर रही थीं” ।

साधकों ! अन्तःकरण को रंगना है… बस यही उद्देश्य है हमारा ।

🙏युगल के रंग में ये अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार) रंग जाए… फिर आपको सर्वत्र वही वही दीखेगा… रस ही रस मिलना शुरू हो जायेगा… सपने में ही नही जाग्रत में भी ।

🙏वैसे भी कोई और रंग है भी नही… कोई और गन्ध है भी नही… कोई और रूप है भी नही… अगर आपको दिखाई भी दे तो वो मिथ्या है झूठ है… सच ये है कि… सर्वत्र “हरित” है… यही सत्य है ।

🙏हरा हरा है… क्योंकि श्याम और पीत ये दोनों रंग “युगल” हैं…

🙏पीत यानि पीला रंग श्रीराधा रानी का… और श्याम रंग श्याम सुन्दर का… दोनों को मिला दो तो होता है “हरा” ।

🙏जब श्याम सुन्दर में पीली तप्त सुवर्ण के समान श्रीराधा जी की परछाई पड़ती है तब हरा दिखाई देता है ।

🙏रंग दो ना इस रंग में अपने मन को… फिर देखो ।… इन सांसारिक बातों से मन खराब ही होता है… चाहे आप लाख मुझे तर्क दो कि नही ये भी आवश्यक है… पर सच्चाई यही है कि मन को खराब करना है तो सांसारिक बातों में मन को लगाओ… मन उद्विग्न हो जाएगा… और युगल प्रेम !… निकुञ्ज रस !…ब्रह्म और आल्हादिनी का विलास !…आहा !

🙏मुझे आजकल आश्चर्य होने लगा है कि… लोग क्यों नही आते इस ओर… कितना रस और कितना आनन्द है इस निकुञ्ज में ।

🙏चलिये… स्नान हो रहा है आज युगल का… यमुना जी में… सखियाँ सेवा में तल्लीन हैं… साधकों ! कोई सेवा आप भी लो ना ! कोई भी सेवा…कुछ नही तो पाँवड़े बिछानें की सेवा ।

चलिये – ध्यान का समय हो रहा है… आँखें बन्द कीजिये ।


🙏युगल सरकार के अंगो की कांति पूरे कुञ्ज में फ़ैल रही है… गौर वरन श्रीकिशोरी जी और श्याम वरन श्रीश्याम सुन्दर ।

🙏दोनों की अंग कांति मिलकर हरा ही हरा तेज़ सर्वत्र छा रहा है…

🙏एक दूसरे के अंगों में मर्दन कर रहे हैं उबटन का… बड़े प्रेम से ।

🙏दोनों अपने आपको ही भूल गए हैं… इन युगल को कुछ भी भान नही है… उफ़ ।

🙏रंगदेवी सखी ने सावधान किया…

🙏हे युगल सरकार ! बहुत बेर हो गयी है… इसलिये अब स्नान करने के लिये घाट में पधारो… रंगदेवी ने एक बार नही… तीन बार इस बात को कहा था… तब जाकर ये युगल सावधान हुए ।

🙏श्रीजी सकुचाईं… नयन नीचे झुका लिए…

🙏रंगदेवी, ललिता, सुदेवी, विशाखा इत्यादि सब सखियाँ युगल को सम्भाल कर घाट पर लेकर आईँ… ..

अब घाट पर खड़े हैं दोनों… सखियों ने छोड़ दिया है ।

पर ये युगलवर खड़े के खड़े ही रह गए… न हिल रहे हैं, न डुल रहे हैं… बस दृष्टि नीचे की ओर है… और अपलक नीचे ही देखे जा रहे हैं… बहुत देर हो गयी है… सखियाँ भी समझ नही पा रहीं कि ये देख क्या रहें हैं ?

अरी रंगदेवी ! थोड़ा देखो तो इन युगलवर को क्या हुआ ?

ललिता सखी ने रंगदेवी को कहा ।

ऐसा क्या है यमुना जल में कि ये दोनों एकटक बस देखे ही जा रहे हैं ?

ललिता की बातें सुनकर रंगदेवी गयीं… और जब नीचे जल में देखा तो वो भी एकटक देखती ही रह गयीं… फिर सावधान किया स्वयं को… क्योंकि स्वयं को सुख लेने का अधिकार नही है इस रसोपासना में ।

रंगदेवी ! क्या हुआ ? तुम तो कुछ बोलो ?

ललिता सखी ने आवाज दी… और पूछा ।

रंगदेवी हँसती हैं… खूब हँसती है…

🙏अरी ललिता ! ये दोनों रूप सुधा के लालची हैं… पता है… यमुना जल में स्वयं की परछाईं दिख रही है… तो बस – श्रीजी श्यामसुन्दर की परछाईं देख रही हैं और श्यामसुन्दर श्रीजी की परछाईं देखकर देहसुध खो बैठे हैं ।

🙏सखियाँ हँसती हुयी वहीं आजाती हैं… जब इस दृश्य को देखती हैं तो अपनी हँसी रोक नही पाती… उफ़ ! रूपासक्त लाल और ललना मुग्ध हैं… तब रंगदेवी कहती हैं –

ये तो फिर डूब गए एक दूसरे में… अब कैसे इनको निकालें ?

तब सब सखियाँ मिलकर जोर से बोल पड़ती हैं…

🙏बोलो – युगल सरकार की… जय जय जय ।

🙏ललिता सखी हाथ पकड़ती हैं युगल का… और कहती हैं… हे युगलवर ! इस ओर तो देखो…” युगलघाट” के घाट कैसे मणि माणिक्य से जगमगा रहे हैं… और इनकी परछाईं से श्रीधाम की शोभा और भी जगमग हो रही है… ऐसा लग रहा है कि… छोटी-छोटी दीप मालायें जला दी गयीं हों… है ना ?

🙏ललिता सखी की बातें सुनकर युगलवर का ध्यान यमुना के जल से हटकर घाट के मणियों में चला गया… पर ये क्या ?

🙏🙏यहाँ वही बात हो गयी… घाट में लगे मणियों में तो युगल की छवि कई रूपों में दिखाई देने लगी… अनन्त प्रतिविम्ब दृष्टि गोचर होने लगा… युगल तो और आनन्दित हो उठे… प्रिया जी सोचने लगीं आहा ! मेरे प्रियतम इतने रूपों में… और श्याम सुन्दर सोचने लगे मेरी प्यारी के अनन्त रूप… ये दोनों घाट की सीढ़ियों पर ही बैठ गए… और मुग्ध भाव से एक दूसरे का प्रतिविम्ब देखने में फिर तन्मय हो गए ।

🙏रंगदेवी माथा पकड़ कर बैठ गयीं… ये तो फिर डूब गए रूप सुधा में… अब कैसे इनको इस छाया – विलास से बाहर निकालें ?

🙏तब ललिता सखी ने आगे बढ़कर युगल का हाथ पकड़ा… धीरे से… और कहा… स्नान तो कर लीजिये युगल सरकार !

क्या स्नान नही हुआ अभी तक हमारा सखी ?

श्याम सुन्दर ने ललिता से आश्चर्य में पूछा ।

सखियाँ हँस पड़ी… अब आप परछाईं से खेलना बन्द करोगे तब तो स्नान होगा ?

🙏हे रूप रस लोभी रसिक शिरोमणि ! हो तो सब रहा है… बस स्नान ही नही हो रहा… रंगदेवी ये कहते हुए हँस रही थीं ।

🙏सखियों के व्यंग वचन सुनकर युगलवर घाट की सीढ़ियों पर अपने चरण रखने लगे ।

🙏दोनों ने झीना वस्त्र पहना है… उन झीनें वसन से उनके अंगों की शोभा अद्भुत झलक रही है… दिव्य ।

🙏युगल ने यमुना जल का स्पर्श किया… फिर यमुना जल को अपने नयनों से लगाया… जल में प्रवेश किया… लाल ने ललना का हाथ पकड़ा है… जय हो !


नही… मुझे डर लगता है… मैं आगे नही जाऊँगी !

श्री किशोरी जी जल में आगे बढ़ने से डरती हैं ।

🙏सखियाँ ऊपर से कह रही हैं… स्वामिनी जु ! जल गहरा नही है… नाभि तक ही जल है… आप जाइए तो…

पर श्रीजी आगे बढ़ने से डर रही हैं ।

श्याम सुन्दर भी बारबार कह रहे हैं जल ज्यादा नही है चलिये ना !

पर नही…

🙏तब रंगदेवी और ललिता सखी जल में उतरीं… और आगे जाकर खड़ी हो गयीं जल में… स्वामिनी जु ! जल इतना ही है अब तो आइये ।

तब प्रिया लाल दोनों आगे बढ़े… रंगदेवी ने श्रीजी को स्नान कराया… लाल जु को ललिता सखी ने… और सखियाँ वहाँ से चली गयीं… ताकि युगलवर को एकान्त का सुख मिले… पर छुप कर दर्शन कर रही हैं…।

अरे ! सखियाँ कहाँ गयीं ? श्रीजी इधर-उधर देखने लगीं ।

वो सब तो गयीं… हे प्यारी ! वो देखो… उस तरफ यमुना जी में कितने कमल के फूल खिले हैं… चलो ! वहीं पे जाकर स्नान करें ।

श्याम सुन्दर ने कहा ।

नही… मैं नही जाऊँगी… वहाँ तक पहुंचने में गहराई पार करनी पड़ेगी… मैं तो डूब जाऊँगी… आहा ! श्रीजी कितने भोलेपन से बोलीं ।

मैं हूँ ना ! आप चलो तो… और वैसे भी वहाँ जल गहरा नही है ।

नही मैं तो जल से बाहर निकल रही हूँ… श्री जी बाहर निकलने लगीं तो रसिक शेखर कुछ देर सोचकर बोले… एक काम करो प्यारी जु !

मेरे कन्धे पर बैठ जाओ… और मैं धीरे-धीरे आपको वहाँ ले जाऊँगा ।

पर मुझे लज्जा आएगी… सखियों ने देख लिया तो ?

श्री जी ने कहा ।

प्यारी जु ! सखियाँ कहाँ हैं ? और अगर आ भी गयीं तो मैं हूँ ना… उनको समझा दूँगा… अब आप बैठ जाओ ।

श्री जी संकोच करते हुए श्याम सुन्दर के कन्धे पर बैठ गयीं ।

मन्द गति से… श्याम सुन्दर चल रहे हैं यमुना जी में… बड़े प्रसन्न हैं… किनारे के पक्षी इस झाँकी का दर्शन करके मत्त हो रहे हैं ।

पर तभी… .

लाल ने एक डुबकी ली…

श्री जी घबड़ाई… …

ये क्या कर रहे हो आप ? मुझे उतार दो… नही तो प्यारे ! आप भी डूब जाओगे… श्री जी को भय लगने लगा था ।

नही नही, आप डरो मत… मेरा पैर थोड़ा फिसल गया था ।

अब मैं सावधान होकर चलूँगा…

पर दो कदम आगे बढ़ते ही फिर फिसल गए श्याम सुन्दर ।

अब क्या हुआ प्रियतम ! क्या आपके चरण फिर फिसल गए ?

नही प्यारी ! इस बार तो आपके “प्रेम रस के भार” से दब गया…

ये कहते हुए खूब हँसने लगे थे ।

तभी उन कमल समूह के मध्य आगये युगल… श्री जी को उतार दिया कन्धे से… श्री जी कमल समूह के मध्य में बैठ गयीं ।

अब तो लाल जु… श्री जी को तैरकर दिखा रहे हैं… श्री जी हँसती हैं… कभी-कभी जल के भीतर ही बहुत देर तक रहते हैं तो श्री जी घबड़ा जाती हैं… पर उसी समय चरण को पकड़ लेते हैं जल के भीतर से आकर… और कमल के फूलों की वर्षा कर देते हैं।

श्री जी आनन्दित होकर ताली बजाती हैं ।

इस दृश्य को छुप-छुप कर सखियाँ देख रही हैं ।

🙏”जल केलि करत दोउ छैल री

शेष “रस चर्चा” कल –

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷



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Color your heart in “Nikunjaras”!

What is the benefit of this?

“I am happy that people are getting the benefit of my writing this “Rasopasana”… In these 8 days, five of my sadhaks have told me that – “we had darshan of Yamuna ji and her ghat in dreams”…one said… “You could not see Yugal Sarkar…but there were infinite friends…all of them were singing something while sitting in the divine doors”…a Sadhika said… “I saw in our dreams that the friends were distributing Prasad of Yugal Sarkar…I extended my hand too. I got the prasad of Biri (betel leaf)… When I woke up, the divine taste of betel was in my mouth”… One said… “It was divine Nikunj… I was lost there as you describe… But suddenly I saw a bright light. experienced… I saw the sakhis in it… all of them were singing the couplet mantra”.

Seekers! We have to paint the conscience… this is our only aim.

🙏 If this conscience (mind, intellect, mind and ego) gets colored in the color of the couple… then you will see the same everywhere… you will start getting the same juice… not only in the dream but also in the waking state.

🙏 Anyway, there is no other color… there is no other smell… there is no other form… even if you see it, it is false, it is a lie… the truth is that… there is “green” everywhere… this is the truth .

🙏 Green is green… because Shyam and Peet these two colors are “couple”…

🙏 Yellow means yellow color of Shriradha Rani… and black color of Shyam Sundar… If both are mixed then it becomes “green”.

🙏 When Shriradha ji’s shadow falls like yellow hot gold in Shyam Sundar, then it appears green.

🙏 Paint your mind in this color… Then see.… These worldly things spoil the mind… Whether you argue with me or not, this is also necessary… But the truth is that if you want to spoil the mind, then worldly things Engage the mind in things… the mind will become anxious… and couple love!… Nikunj Rasa!…Villas of Brahma and Alhadini!…Aha!

🙏 Nowadays I have started wondering that… why people don’t come this way… there is so much juice and so much joy in this Nikunj.

🙏 Let’s go… Today the couple is having bath… in Yamuna ji… Friends are engrossed in service… Sadhaks! You also take some service, don’t you? Any service… nothing else, the service of spreading the feet.

Let’s go – it’s time for meditation… Close your eyes.

🙏 The luster of the organs of the couple government is spreading in the entire Kunj… Gaur or Sri Kishori ji and Shyam or Sri Shyam Sundar.

🙏 Together with the radiance of both, green and green are spreading everywhere…

🙏 Mardan in each other’s organs… with great love.

🙏 Both have forgotten themselves… This couple is not aware of anything… Oops.

🙏 Rangadevi Sakhi cautioned…

🙏 Hey couple government! It is too late… so now come to the ghat to take bath… Rangdevi had told this thing not once… thrice… Then this couple became careful.

🙏 Shreeji hesitated… eyes bowed down…

🙏 Rangadevi, Lalita, Sudevi, Visakha etc. all the friends took care of the couple and brought them to the ghat…..

Now both are standing on the ghat… the friends have left.

But this couple remained standing… neither moving nor shaking… just looking down… and the eyes are looking down… it is too late… even the friends are not able to understand that this What are you watching?

Hey Rangdevi! Look a little, what happened to this couple?

Lalita Sakhi said to Rangdevi.

What is there in the Yamuna water that both of them are just staring at it?

After listening to Lalita’s words, Rangdevi went… and when she looked down in the water, she also kept on staring… then cautioned herself… because she does not have the right to take pleasure in this cooking.

Rangdevi! What happened ? you say something

Lalita Sakhi called… and asked.

Rangdevi laughs… laughs a lot…

🙏 Hey Lalita! Both these forms are greedy for Sudha… Do you know… own shadow is visible in the Yamuna water… So simply – Shreeji is seeing Shyamsundar’s shadow and Shyamsundar has lost his senses after seeing Shreeji’s shadow.

🙏 Friends come there laughing… When she sees this scene, she cannot stop laughing… Oops! Rupasakt Lal and Lalna are enchanted… Then Rangadevi says –

They got drowned in each other again… Now how to get them out?

Then all the friends together speak loudly…

🙏 Say – Couple government’s… Jai Jai Jai.

🙏 Lalita Sakhi holds the hand of the couple… and says… O couple lover! Look at this side… how the Ghats of “Yugal Ghat” are shining with gems… and the beauty of Shridham is shining even more with their shadow… It seems that… small lamp garlands have been lit… isn’t it? ?

🙏 After listening to the words of Lalita Sakhi, the attention of the couple shifted from the water of Yamuna to the gems of the ghat… but what is this?

🙏🙏 The same thing happened here… The image of the couple started appearing in many forms in the gems in the ghat… The infinite reflection started appearing… The couple became more happy… Priya ji started thinking aha! My beloved in so many forms… and Shyam Sundar started thinking of the infinite forms of my beloved… both of them sat on the steps of the Ghat… and again became engrossed in seeing each other’s reflection with enchantment.

🙏 Rangdevi sat down holding her head… she again drowned in Roop Sudha… now how to get her out of this shadow-luxury?

🙏 Then Lalita Sakhi went ahead and held the hand of the couple… slowly… and said… At least take a bath, couple Sarkar!

Has our friend not taken bath yet?

Shyam Sundar asked Lalita in surprise.

The friends laughed… Now you will stop playing with the shadow, only then will you have a bath?

🙏 Oh beauty greedy lover Shiromani! Yes, everything is fine… only bath is not happening… Rangdevi was laughing while saying this.

🙏 After listening to the sarcastic words of the friends, Yugalvar started placing his feet on the stairs of the ghat.

🙏 Both are wearing flimsy clothes… The beauty of their organs is amazingly reflected in those flimsy clothes… Divine.

🙏 The couple touched the Yamuna water… then touched the Yamuna water with their eyes… entered the water… Lal has held the hand of Lalna… Hail!

No… I’m scared… I won’t go ahead!

Shri Kishori ji is afraid to move forward in the water.

🙏 Friends are saying from above… Swamini Ju! The water is not deep… there is water till the navel… if you go…

But Shreeji is scared to move forward.

Shyam Sundar is also repeatedly saying that there is not much water, let’s go!

But no…

🙏 Then Rangdevi and Lalita Sakhi entered the water… and went ahead and stood in the water… Swamini Ju! There is only this much water, so come now.

Then Priya Lal both went ahead… Rangdevi bathed Shreeji… Lalita gave bath to Lal Ju… and the friends left from there… so that the couple could get the pleasure of solitude… but secretly seeing….

Hey ! Where did the friends go? Shreeji started looking here and there.

All of them have gone… Hey dear! Look at that… there are so many lotus flowers blooming in Yamuna ji on that side… come on! Go there and take a bath.

Shyam Sundar said.

No… I will not go… To reach there one has to cross the depth… I will drown… Aha! Shreeji spoke so innocently.

I am right! You go then… and anyway the water is not deep there.

No, I am getting out of the water… When Shriji started coming out, Rasik Shekhar thought for a while and said… Do one thing dear!

Sit on my shoulder… and I will slowly take you there.

But I will feel ashamed… What if the friends see?

Shri ji said.

Sweetheart! Where are the friends? And even if she comes, I am here… I will explain to her… Now you sit down.

Shree ji hesitantly sat on Shyam Sundar’s shoulder.

Slow speed… Shyam is walking beautifully in Yamuna ji… He is very happy… The birds of the banks are getting intoxicated after seeing this tableau.

But only then….

Lal took a dip…

Shri ji panicked….

what are you doing Take me off… otherwise dear! You will also drown… Shri ji was getting scared.

No no, don’t be afraid… My foot had slipped a bit.

Now I’ll be careful…

But as soon as he took two steps forward, Shyam Sundar slipped again.

What happened now dear! Have you slipped again?

No dear! This time I was suppressed by your “weight of love juice”…

While saying this, he started laughing a lot.

That’s why the couple came in the middle of the lotus group… Shri ji was removed from the shoulder… Shri ji sat in the middle of the lotus group.

Now Lal Ju… is showing Shree ji swimming… Shree ji laughs… Sometimes Shree ji gets scared if he remains inside the water for a long time… But at the same time he holds the feet coming from inside the water … and showered lotus flowers.

Shree ji is happy and claps.

Friends are secretly watching this scene.

🙏”Jal keli karat dou chail ri

The rest of “Juice Discussion” tomorrow –

🚩Jai Shri Radhe Krishna🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷

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