गंगा नाहया पर्वत को पाया तू है कहा
ये दुनिया छोड़ी मैने मन सजाया तू है कहा
तुम डरबदार की राहो में या हो कही शिवलो में
मेरे साथ ही तुम हो कही फिर क्यू नही निगाहो में
जब लाउ उठी इस दिल में तो एहसास हुआ
तुझमे शिवा मुझमे शिवा तन में शिवा मन में शिवा
ओम नमः शिवाय….
मान की गहराई में तू था चाओं में तेरी मई चला
तेरी राहो में ही खोके खुद से ही में आ मिला
अब ना रही पल की खबर जो तू मिला है इस क़दर
समा गया तुझमे कही भटका था जो ये बेसबर
हर ओर से बस एक धुन मैं सुन रहा
तुझमे शिवा मुझमे शिवा….
सत्या-असत्या में उलझी दुनिया अपने करमो से है परे
समझे ना क्यू तेरी माया तूने ही हर रूप धरे
है शोर में खामोशी तू खामोशी मेी एक नाद है
संगीत है जीवन का तू अनसुना एक राग है
आँख मूंडे भीतर ही वो है बसा
तुझमे शिवा मुझमे शिवा….
Where have you found the Ganges Nahya mountain?
Left this world, I decorated my mind, where are you?
Are you in the path of Darbdar or somewhere in Shivlo?
You are with me somewhere else why not in my eyes
When Lau woke up in this heart I realized
Shiva in you Shiva in me Shiva in body Shiva in mind
Adoration to Lord Shiva….
You were in the depths of your life
I found myself lost in your path
Now there is no news of the moment that you have received so much
Got lost somewhere in you who was helpless
I hear just one tune from everywhere
Shiva in you, Shiva in me….
The world entangled in truth and falsehood is beyond its deeds
Do not understand why your love, you took every form
There is silence in the noise, there is a sound in the silence
Music is life’s you, a melody unheard
Closed eyes he is settled inside
Shiva in you, Shiva in me….