बाबा तुझे कोई कहे डमरुधारी,
कोई त्रिपुरारी ऐ बाबा,
कोई तुमसा न कोई दानी,
नहीं दूजा कोई तुमसे सानी बाबा…….
ये जग कैलाश पे कर के बसेरा,
रामयी दियो धुनि ऐ बाबा………….
जब तूने पिया विष का प्याला,
तेरा रूप हुआ था निराला हे औघड़………
देव सब बन गए तेरे ही पुजारी,
डमरू धरी ऐ बाबा………….
तेरे दर पे जो भी है आता,
मन वांछित फल है वो पता हे शम्भू,
तुम्ही जग में हो त्रिनेत्र धारी,
शंकर ऐ दानी हे बाबा…………
Baba, someone calls you a damrudhari,
Some Tripurari O Baba,
No one like you or any donor,
No, no one is like you, Baba…….
By doing this world on Kailash,
Ramyi Diyo Dhuni Ae Baba………….
When you drank the cup of poison,
Your form was unique, O Oughad………
God all became your own priest,
Damru Dhari O Baba………….
Whatever is at your rate comes,
Mind is the desired fruit, it is known that Shambhu,
You are in the world with three eyes,
Shankar O Dani Hey Baba…………