अहो उमापति अधीर भक्त की व्यथा हरो,
दयालु विशव नाथ दीन हीन पर दया करो
अहो उमापति अधीर भक्त की व्यथा हरो,
तुम्ही अशक्त के लिए समर्थ हो उधार हो
तुम्ही अनाधि काल से अंनत हो आपर हो
तुम्ही अथा हसा श्रृष्टि सिन्धु मध्य कर्ण भार हो
तुम्ही करो सहाय तो शरीर नाव पार हो
प्रभु अदीन मलिन के पाप चित न धरो
दयालु विशव नाथ दीन हीन पर दया करो
अनेक पाप की सदा अशुद्ध कर्म को किये
परन्तु एक बार शम्भु नाम प्रेम से लिए
गए समाप्त शम्भु धान ध्यान श्मभु में दिए
अनाथ के नीच कर्म नाथ के लेक में दिए
अते वे स्वामी बिंदु बुधी राम भगती से भरो
दयालु विशव नाथ दीन हीन पर दया करो
Hey Umapati, take away the agony of the impatient devotee,
Have mercy on the merciful Vishwanath Din Heen
Hey Umapati, take away the agony of the impatient devotee,
you are able to handicap
You are eternal from time immemorial
You are the middle ear weight.
You help if the body is crossing the boat
Lord Adin do not bear the sins of the filthy
Have mercy on the merciful Vishwanath Din Heen
Always committed impure deeds of many sins
But once the name Shambhu was taken out of love.
The finished Shambhu Paddy was meditated in Shambhu
The low deeds of the orphan were given in the lake of Nath
So they fill with Swami Bindu Budhi Ram Bhagati
Have mercy on the merciful Vishwanath Din Heen