धर्म,सदाचार और नैतिकता मनुष्य को
सत्य,असत्य का भेद करना सिखाते हैं।
अगर जीवन में आत्म-नियंत्रण
अथवा स्वयं पर नियंत्रण और,
इन्द्रियों पर नियन्त्रण नहीं तो धर्म,
नैतिकता और सदाचरण की बात व्यर्थ है।
विकारो पर नियंत्रण ही
आत्म-नियंत्रण है।
जीवन में समस्याओं और दुखों
का कारण आत्म-नियंत्रण न होना है।
धर्म के प्रकाश में किए गए कर्म ही
शुभ कर्म होते है और शुभ फल देते हैं।
religion, morality and morality Teach to differentiate between truth and untruth.
If self-control in life or self-control and,
If there is no control over the senses, then religion, Talk of morality and good conduct is meaningless.
control over disorders There is self-control.
problems and sorrows in life The reason is lack of self-control.
Only deeds done in the light of religion Good deeds are done and they give good results.