शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले हरियाली तीज के त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे। भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए।अतः मां पार्वती सबके पति तो को आशिर्वाद देती है।
काजली तीज कहानी
एक साहूकार था ,उसके सात बेटे थे। उसका सबसे
छोटा बेटा पांगला (पाव से अपाहिज़ ) था। वह रोजाना एक वेश्या के पास जाता था। उसकी पत्नी बहुत पतिव्रता थी। खुद उसे कंधे पर बिठा कर वेश्या के यहाँ ले जाती थी। बहुत गरीब थी। जेठानियों के पास काम करके अपना गुजारा करती थी।
भाद्रपद के महीने में कजली तीज के दिन सभी ने तीज माता के व्रत और पूजा के लिए सातु बनाये। छोटी बहु गरीब थी उसकी सास ने उसके लिए भी एक सातु का छोटा पिंडा बनाया। शाम को पूजा करके जैसे ही वो सत्तू पासने लगी उसका पति बोला मुझे वेश्या के यहाँ छोड़ कर आओ।हर दिन की तरह उस दिन भी वह पति को कंधे पैर बैठा कर छोड़ने गयी , लेकिन वो बोलना भूल गया की तू जा। वह बाहर ही उसका इंतजार करने लगी इतने में जोर से वर्षा आने लगी और बरसाती नदी में पानी बहने लगा । कुछ देर बाद नदी से आवाज आई-
“आवतारी जावतारी दोना खोल के पी।
पिव प्यारी होय आवाज़ सुनकर उसने नदी की तरफ देखा तो दूध का दोना नदी मे तैरता हुआ आता दिखाई दिया। उसने दोना उठाया और सात बार उसे पी कर दोने के चार टुकड़े किये और चारों दिशाओं में फेंक दिए।
उधर तीज माता की कृपा से उस वेश्या ने अपना सारा
धन उसके पति को वापस देकर सदा के लिए वहाँ से
चली गई। पति ने सारा धन लेकर घर आकर पत्नी
को आवाज़ दी ” दरवाज़ा खोल ” तो उसकी पत्नी ने कहा में दरवाज़ा नहीं खोलूँगी। तब उसने कहा कि अब
में वापस नहीं जाऊंगा। अपन दोनों मिलकर सातु पासेगें। लेकिन उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा मुझे वचन दो वापस वेश्या के पास नहीं जाओगे। पति ने पत्नी को वचन दिया तो उसने दरवाज़ा खोला और देखा उसका पति गहनों और धन माल सहित खड़ा था। उसने सारे गहने कपड़े अपनी पत्नी को दे दिए। फिर दोनों ने बैठकर सातु पासा।
हे तीज माता ! जैसे आप उस पर प्रसन्न हुई वैसे ही
वैसी ही सब पर प्रसन्न होना ,सब के दुःख दूर करना। तीज माता की जय हो
सुबह जब जेठानी के यहाँ काम करने नहीं गयी तो बच्चे बुलाने आये काकी चलो सारा काम पड़ा है। उसने कहा अब तो मुझ पर तीज माता की पूरी कृपा है अब मै काम करने नहीं आऊंगी। बच्चो ने जाकर माँ को बताया की आज से काकी काम करने नहीं आएगी उन पर तीज माता की कृपा हुई है वह नए – नए कपडे गहने पहन कर बैठी है और काका जी भी घर पर बैठे है। सभी लोग बहुत खुश हुए।
The festival of Hariyali Teej, celebrated to commemorate the reunion of Shiva and Parvati, is believed to have taken 107 births by Mother Parvati. To get Lord Shankar as a husband. Therefore, Mother Parvati blesses everyone’s husband.
Kajali Teej Story There was a moneylender, he had seven sons. his most The younger son was Pangala (foot-handicapped). He used to visit a prostitute every day. His wife was very pious. She herself used to take her to the prostitute’s place by putting her on her shoulder. was very poor. She used to earn her living by working with the Jethanis.
On the day of Kajali Teej in the month of Bhadrapada, everyone made Satu for fasting and worshiping Mother Teej. The younger daughter-in-law was poor, her mother-in-law made a small pinda of sattu for her too. After worshiping in the evening, as soon as she started passing sattu, her husband said, leave me with the prostitute. Like every day, she went to leave her husband on her shoulders, but he forgot to say that you go. She started waiting for him outside, when it started raining heavily and water started flowing in the rainy river. After some time a voice came from the river-
“Avatari javatari dona khol ke p. Hearing the sound of ‘Piv Pyari Hoy’, he looked towards the river and saw the milk coming floating in the river. He picked up the dona and drank it seven times, cut it into four pieces and threw it in all four directions.
On the other hand, by the grace of Teej Mata, that prostitute gave away all her by giving the money back to her husband from there forever Has gone. Husband came home with all the money and wife Called “open the door” then his wife said that I will not open the door. then he said now I will not go back. Together we will pass Satu. But his wife did not believe it, she said promise me you will not go back to the prostitute. When the husband made a promise to the wife, she opened the door and saw her husband standing with the ornaments and money. He gave all the ornaments and clothes to his wife. Then both of them sat down and dice satu.
Oh Mother! just as you pleased In the same way, to be happy on all, remove all sorrows. Teej Mata Ki Jai Ho
In the morning, when Jethani did not go to work, the children came to call Kaki, all the work was done. She said that now I have full grace of Teej Mata, now I will not come to work. The children went and told their mother that from today onwards Kaki will not come to work, she has been blessed by Teej Mata, she is wearing new clothes and ornaments and Kaka ji is also sitting at home. Everyone was very happy.