तू बड़ा बुद्धू है, मोहनदास!
गाँधीजी, मोहनदास गाँधी तब कोई तेरह सालके थे। राजकोटके अल्फ्रेड हाईस्कूलमें पढ़ रहे थे। हाईस्कूल के पहले सालकी बात है। शिक्षा-विभागके इन्स्पेक्टर आये। थे मुआइना करने। नाम था उनका जाइल्स साहब।
उन्होंने इम्ला (श्रुतलेख) में अंग्रेजीके 5 शब्द बोले। उनमें एक शब्द था ‘केटल’। मोहनदासने इस शब्दके हिज्जे गलत लिखे। मास्टर साहबने यह देखा तो अपने बूटकी ठोकर लगाकर उसे सावधान करना चाहा। लेकिन वह क्यों सावधान होता ?
मास्टर साहबके ठोकर लगानेका मतलब यह था कि मोहनदास आगेवाले लड़केकी कापी देखकर ‘केटल’ के हिज्जे ठीक कर ले !
मोहन ऐसा सोच भी नहीं सकता था कि मास्टर साहब उसे नकल करनेका इशारा कर रहे हैं।
वह ऐसा समझ भी लेता तो भी ऐसा न करता । धोखा देना, चोरी करना, जान-बूझकर गलत काम करना उसका स्वभाव ही नहीं था।
सब लड़कोंके पाँचों शब्द सही निकले। अकेला मोहनदास बेवकूफ ठहरा।
इन्स्पेक्टर चले गये तो मास्टर साहबने कहा- ‘तू बड़ा बुद्ध है, मोहनदास! मैंने तो तुझे इशारा भी किया कि सामनेवाले लड़केकी कापी देखकर अपने हिज्जे सुधार ले, पर तुझे इतनी अकल ही नहीं।’
फटकार सुनकर भी मोहनदासपर कोई असर न पड़ा। सच्चा आदमी बेवकूफ बनना पसन्द करता है, चोरी बेईमानी करना नहीं। [ श्रीकृष्णदत्तजी भट्ट ]
You are a big fool, Mohandas!
Gandhiji, Mohandas Gandhi was about thirteen years old then. Alfred was studying in High School, Rajkot. It’s about the first year of high school. Inspector of education department came. Were to inspect. His name was Mr. Giles.
He spoke 5 words of English in Emla (dictation). One of the words was ‘kettle’. Mohandas wrote the spelling of this word wrong. When Master saw this, he tried to warn him by stomping his boot. But why would he be careful?
The meaning of master’s stumbling was that Mohandas should correct the spelling of ‘kettle’ by looking at the copy of the next boy!
Mohan could not even imagine that Master Sahib was pointing out to him to copy.
Even if he had understood this, he would not have done so. It was not in his nature to cheat, steal, deliberately do wrong.
All the five words of the boys came out correct. Mohandas alone was fooled.
When the inspector went away, the master said – ‘You are a big Buddha, Mohandas! I even hinted to you to improve your spelling by looking at the copy of the boy in front of you, but you do not have that much sense.’
Mohandas was not affected even after listening to the rebuke. A true man prefers to be a fool, not to cheat. [Shrikrishnadattji Bhatt]