ऋण चुकाना ही पड़ता है

dove freedom peace

एक व्यापारीको व्यापारमें घाटा लगा। इतना बड़ा घाटा लगा था कि उसकी सब सम्पत्ति लेनदारोंका रुपया चुकानेमें समाप्त हो गयी। अब आजीविकाके लिये फिर व्यापार करनेको उसे ऋण लेना आवश्यक हो गया; किंतु कोई ऋण देनेको उद्यत नहीं था, विवश होकर वह राजा भोजके पास गया और उसने एक बड़ी रकम ऋणके रूपमें माँगी।

राजाने पूछा- ‘तुम यह ऋण चुका कैसे सकोगे ?’ व्यापारीने उत्तर दिया- ‘जितना इस जीवनमें चुका सकूँगा, चुका दूँगा; जो शेष रहेगा उसे जन्मान्तरमें चुकाऊँगा।’

राजाने दो क्षण सोचकर व्यापारीको ऋण देनेकी आज्ञा दे दी। कोषाध्यक्षने व्यापारीसे ऋणपत्र लिखवाकर धन दे दिया। व्यापारी वहाँसे धन लेकर चला। मार्गमें सायंकाल हो जानेके कारण वह एक तेलीके घर रात्रिव्यतीत करने रुक गया। पासमें धन होनेसे उसकी रक्षाकी चिन्तामें उसे रातमें नींद नहीं आयी। पशु-भाषा समझनेवाले उस व्यापारीने रात्रिमें तेलीके बैलोंको परस्पर बातें करते सुना। एक बैल कह रहा था-‘ भाई ! इस तेलीसे पहिले जन्ममें मैंने जो ऋण लिया था वह अब लगभग समाप्त हो चुका है। कल घानीमें दो-तीन चक्कर कर देनेसे मैं ऋणमुक्त हो जाऊँगा और इससे इस पशु-योनिसे छूट जाऊँगा।’

दूसरा बैल बोला- ‘भाई! तुम्हारे लिये तो सचमुच यह प्रसन्नताकी बात है; किंतु मुझपर तो अभी इसका एक सहस्र रुपया ऋण है। एक मार्ग मेरे लिये है । यदि यह तेली राजा भोजके बैलसे मेरे दौड़नेकी प्रतियोगिता ठहरावे और एक सहस्रकी शर्त रखे तो मैं जीत जाऊँगा। इसे एक सहस्र मिल जायँगे और मैं पशु-योनिसे छूट जाऊँगा।’व्यापारीने प्रातःकाल प्रस्थान करनेमें कुछ देर कर दी। सचमुच तेलीकी घानीके दो-तीन चक्कर करके पहिला बैल अचानक गिर पड़ा और मर गया। अब व्यापारीने तेलीसे रातकी सब बात बता दी और उसे राजा भोजके पास जानेको कहा। तेलीके बैलसे अपने बैलकी दौड़ प्रतियोगिता राजाने सहस्र रुपयेकी शर्तपर स्वीकार कर ली। दौड़में तेलीका बैल जीत गया; किंतु तेलीको जैसे ही एक सहस्र रुपये मिले, उसका वहबैल भी मर गया ।

अब व्यापारी राजाके कोषाध्यक्षके पास पहुँचा। उसने ऋणमें जो धन लिया था, उसे लौटाकर ऋणपत्र फाड़ देने को कहा। पूछनेपर उसने बताया —— इस जीवनमें मैं पूरा ऋण चुका सकूँगा, ऐसी आशा मुझे नहीं और दूसरे जीवनमें ऋण चुकानेका भय मैं लेना नहीं चाहता। इससे तो अच्छा है कि मैं मजदूरी करके अपना निर्वाह कर लूँगा।

‘ – सु0 सिं0

A businessman suffered loss in business. There was such a huge loss that all his property ended up in repaying the creditors. Now it has become necessary for him to take a loan to do business again for livelihood; But no one was willing to give the loan, being forced he went to Raja Bhoj and asked for a huge amount as loan.
The king asked – ‘How will you be able to repay this loan?’ The merchant replied – ‘ I will pay as much as I can in this life; Whatever is left, I will repay in the next birth.
The king thought for two moments and ordered the merchant to give the loan. The treasurer gave the money after getting the merchant to write a debenture. The merchant went away with the money. As it was evening on the way, he stopped at an oilman’s house to spend the night. Having money nearby, he could not sleep at night worrying about his safety. The merchant, who understood animal language, overheard the oil bullocks talking to each other in the night. A bull was saying – ‘Brother! The loan that I had taken in my previous birth from this Teli is now almost over. Tomorrow, by doing two or three rounds in Ghani, I will be debt-free and will be free from this animal-vagina.’
The second bull said – ‘Brother! It is indeed a matter of happiness for you; But I still owe him a thousand rupees. There is a way for me. If this Teli king organizes a competition for me to run from Bhoj’s bull and puts a bet of one thousand, then I will win. He will get a thousand and I will be released from the animal-vagina. ‘The businessman delayed his departure in the morning. Indeed, after two or three rounds of Teliki Ghani, the first bull suddenly fell down and died. Now the merchant told Teli everything about the night and asked him to go to Raja Bhoj. The king accepted his bullock race competition with oil bulls on a condition of thousand rupees. Telika’s bull won the race; But as soon as Teliko got one thousand rupees, his bullock also died.
Now the merchant reached the king’s treasurer. Returning the money he had taken on loan, he asked to tear the debenture. On asking, he told —— I do not expect to be able to repay the loan in full in this life, and I do not want to be afraid of repaying the loan in the next life. It is better that I can earn my livelihood by working as a laborer.

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