त्रावणकोर राज्यके तोरूर ग्राममें एक साहूकारका हाथी किसी कारणसे उन्मत्त हो उठा। उसने अपने महावत नारायण नायरको सूँड़से पकड़कर पृथ्वीपर पटक दिया और उनकी पीठमें दाँतसे आघात किया। संयोग अच्छा था, दूसरे लोगोंने हाथीको झटपट वशमेंकर लिया। नारायण नायरके प्राण बच गये। वे मूच्छित थे, उठाकर अस्पताल लाये गये ।
डॉक्टरने महावत नारायण नायरके घावकी जाँच की। हाथीका दाँत भीतरतक पीठमें घुस गया था। घ बड़ा था, वह टाँकेसे बंद होने योग्य नहीं था । उससेरक्तका प्रवाह चल रहा था। डॉक्टरने बताया- ‘रोगीका जीवन संकटमें है। किसी जीवित मनुष्यका लगभग डेढ़ पौण्ड (तीन पाव) मांस मिले तो उसे घावमें भरकर घावपर टाँका दिया जा सकता है। ‘
अपने शरीरमेंसे तीन पाव मांस कौन काटने दे। रोगीके परिवारमें, मित्रोंमें, परिचितोंमें ऐसा कोई उसका शुभचिन्तक नहीं निकला जो इतना त्याग उसके लिये कर सके। किंतु भारतकी पवित्र भूमि कभी अलौकिकत्यागियोंसे शून्य नहीं हुई है। समाचार पाकर पानावली ग्रामके एक सम्पन्न कुटुम्बके सदस्य श्रीकन्नड़कृष्ण नायर डॉक्टरके पास पहुँचे। उन्होंने डॉक्टरसे अपना मांस लेनेको कहा। डॉक्टरने उनकी जाँघसे मांस लेकर रोगीके घावमें भरा और टाँका लगाया, इससे महावत नारायण नायरके प्राण बच गये। श्रीकन्नड़कृष्ण नायरको भी जाँघका घाव भरनेतक अस्पतालमें रहना पड़ा।
– सु0 सिंह
In Torur village of Travancore state, a moneylender’s elephant got mad for some reason. Holding his mahout Narayan Nair by his trunk, he threw him on the earth and hit his back with his teeth. Coincidence was good, other people quickly tamed the elephant. Narayan Nair’s life was saved. He was unconscious, was picked up and brought to the hospital.
The doctor examined the wound of Mahavat Narayan Nair. The elephant’s tusk had penetrated deep into the back. D was big, it was not able to be closed with stitches. Blood flow was going on from him. The doctor told- ‘The patient’s life is in danger. If you get about one and a half pound (three feet) flesh of a living person, then it can be filled in the wound and stitched on the wound. ,
Who would let three feet of flesh be cut from his body? In the patient’s family, friends and acquaintances, there was no such well-wisher for him who could make such a sacrifice for him. But the holy land of India has never been void of supernatural sacrifices. After getting the news, Shrikannadakrishna Nair, a member of a wealthy family of Panavali village, reached the doctor. He asked the doctor to take his flesh. The doctor took flesh from his thigh and stitched the patient’s wound, this saved Mahavat Narayan Nair’s life. Srikannadakrishna Nair also had to stay in the hospital till his thigh wound healed.
– Su0 Singh