आधे विश्वाससे काम नहीं होता
एक ग्वालिन एक पण्डितजीके यहाँ दूध पहुँचाया करती थी। ग्वालिनका घर नदीके उस पार था इसलिये समयपर नाव न मिलनेके कारण उसे दूध लानेमें देर हो जाया करती थी। एक दिन देरीके कारण पण्डितजीने उसे खूब फटकारा। ग्वालिन बोली- ‘क्या करूँ, महाराज! मैं तो घरसे जल्दी ही निकलती हूँ, पर मल्लाहके लिये मुझे बहुत देर तक बैठे रहना पड़ता है।’
पण्डितजी बोले- ‘अरी रामनाम लेकर लोग भवसागर पार हो जाते हैं और तू एक छोटी-सी नदीको पार नहीं कर पाती ?’ ग्वालिन बेचारी भोली भाली थी। पण्डितजीकी बात सुनकर वह बड़ी प्रसन्न हुई। दूसरे दिनसे वह नावके लिये राह न देख विश्वासके साथ रामनाम लेते हुए पैरों चलकर नदी पारकर आने लगी। एक दिन पण्डितजीने उससे पूछा “क्या बात है? आजकल तो तुझे देर नहीं होती।’
ग्वालिन बोली- ‘महाराज! आपकी बात सुनकर मैं अब नावके लिये नहीं ठहरती, रामनाम लेते हुए पैदल ही नदी पार कर आती हूँ।’ पण्डितजीको उसकी बातपर विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने उससे कहा- ‘तू मुझे चलकर नदी पारकर दिखा सकती है ?’ ग्वालिन पण्डितजीको साथ ले गयी और नदीमें उतरकर रामनाम लेते हुए चलने लगी। पण्डितजी भी घबराते हुए पानीमें उतरे और धोतीको सम्हालते हुए बड़ी मुश्किलसे एक-दो पग आगे बढ़े। ग्वालिनने थोड़ी दूर जाकर जब पीछे मुड़कर देखा, तो पण्डितजी बड़ी मुसीबत में पड़े हुए थे। तब वह बोली- ‘वाह महाराज! तुम मुँहसे रामनाम भी लोगे और हाथोंसे धोती भी सम्हालोगे, यह कैसे चलेगा!’
भगवान् पर पूरे विश्वासके साथ समर्पण करो, तभी काम बनेगा।
half faith doesn’t work
A cowherd used to deliver milk to a priest. The cowherd’s house was on the other side of the river, so due to non-availability of boat on time, there used to be delay in bringing milk to her. Panditji scolded him for being late for a day. Gwalin said – ‘ What should I do, Maharaj! I leave the house soon, but for Mallah I have to sit for a long time.’
Panditji said – ‘Ari, people cross the Bhavsagar by taking the name of Ram and you are not able to cross a small river?’ The poor cowherd was innocent. She was very happy after listening to Panditji. From the second day, without looking for a way for the boat, she started coming across the river walking on foot, reciting the name of Ram with faith. One day Panditji asked him, “What is the matter? Nowadays you are not late.”
Gwalin said – ‘ Maharaj! After listening to you, I don’t wait for the boat anymore, reciting Ram’s name, I cross the river on foot.’ Panditji could not believe his words. He said to her- ‘Can you walk and show me across the river?’ Gwalin took Panditji along with her and got down in the river and started walking reciting the name of Ram. Panditji also got down in the water in panic and keeping his dhoti with great difficulty moved forward one or two steps. When the cowherd went a little distance and looked back, Panditji was in great trouble. Then she said – ‘ Wow Maharaj! You will take the name of Ram with your mouth and also handle the dhoti with your hands, how will this work!’
Surrender to God with full faith, only then the work will be done.