आपसकी कलहसे तीसरेका लाभ होता है
सिंहनगरके राजकुमारका नाम चन्दन था। उसके पेटके अन्दर एक सौंप रहता था। राजकुमार जो भी खाता-पीता, उसके बलपर सौंप दिन-पर-दिन पुष्ट होता जाता और राजकुमार निर्बल।
एक दिन जब राजकुमार सो रहा था, तब उसका मुँह खुला रह गया था। साँपको मौका मिल गया, उसने स्वच्छ हवा लेनेके लिये अपना फन बाहर निकालकर खूब गहरी गहरी साँसें लीं। जब वह गहरी साँसें खींच रहा था, तभी उसकी दृष्टि सामनेकी दीवालपर चली गयी, जहाँ एक साँप और बैठा था। दोनोंकी आँखें एक-दूसरेसे टकरा गर्यो। बस, फिर क्या था।
बिलवाले सौंपको पेटमें घुसे साँपपर बहुत गुस्सा आया। वह वहाँसे पेटमें घुसे सौंपको धिक्कारते हुए बोला-‘अब समझा, राजकुमार चन्दन दिन-पर-दिन दुबले क्यों होते चले जा रहे हैं? तू इनके पेटसे निकल क्यों नहीं जाता ? बाहर निकल और मेहनत करके खा मुफ्तका खा-खाकर अजगर बनता जा रहा है किसी दिन यदि राजकुमारको किसीने कौंजी पिला
दी, तो तेरा उसी दिन राम नाम सत्य हो जायगा, मेरी सलाह मान ले और फौरन इसके पेटसे भाग जा।’
अपने मर्मका उद्घाटन सुन पेटवाला साँप भला चुप बैठा रहता ? वह भी फुफकारकर बोला- ‘तू कैसे मुझसे बेकारमें जलता है, अपनी ओर देख, तू कौन-सा दूधका धोया हुआ है। बरसोंसे राजकुमारका धन दबाये बैठा है। जो तेरे सिरपर किसीने उबलता तेल डाल दिया तो मैं तो महीनोंमें, पर तू तो मिनटोंमें ही मर जायगा।’ दोनों साँप कहा-सुनी करके अपने-अपने स्थानको चले गये।
इस परस्पर रहस्य-उद्घाटनको राजकुमारकी पत्नी मालविका सुन रही थी। उसने उसी दिन काँजी बनवायी और अपने पतिको स्वस्थ कर लिया। दूसरे दिन तेल खौलाकर दीवालके छेदमें डलवा दिया और सारा धन निकलवा लिया। इस प्रकार दोनों साँपोंके स्वाहा होनेपर वे सुखपूर्वक रहने लगे। आपसकी कलहसे तीसरेको फायदा हो गया।
[ सुश्री माधुरीजी शास्त्री ]
Third person benefits from your quarrel
The name of the prince of Sinhanagar was Chandan. There was a hand inside his stomach. Whatever the prince eats and drinks, he gets stronger day by day and the prince becomes weak.
One day when the prince was sleeping, his mouth was left open. The snake got a chance, he took very deep breaths by taking out his hood to get clean air. While he was taking deep breaths, his vision went to the front wall, where another snake was sitting. Their eyes collided with each other. So, all was set.
Billwale Sansek got very angry at the snake entering his stomach. From there, cursing the handover, he entered into the stomach and said – ‘Now do you understand, why is Rajkumar Chandan getting thinner day by day? Why don’t you get out of their stomach? Go out and work hard and eat for free and become a dragon someday if someone gives the prince a key
If given, then your name of Ram will become true on the same day, accept my advice and immediately run away from his stomach.’
Would a snake with a stomach keep silent listening to the opening of its mystery? He also hissed and said – ‘How are you jealous of me unnecessarily, look at yourself, what kind of milk are you washed with. Rajkumar’s money has been lying buried for years. If someone pours boiling oil on your head, I will die in months, but you will die in minutes.’ Both the snakes went to their respective places after listening to each other.
The prince’s wife Malavika was listening to this mutual revelation. She made kanji the same day and made her husband healthy. The next day, after boiling oil, he poured it into the hole in the wall and got all the money withdrawn. In this way, when both the snakes were killed, they started living happily. The third person got benefited from your quarrel.
[Ms. Madhuriji Shastri]