भगवान् बुद्धका एक पूर्ण नामक शिष्य उनके समीप एक दिन आया और उसने तथागतसे धर्मोपदेश प्राप्त करके ‘सुनापरंत’ प्रान्तमें धर्मप्रचारके लिये जानेकी आज्ञा माँगी। तथागतने कहा उस प्रान्तके लोग तो अत्यन्त कठोर तथा बहुत क्रूर हैं। वे तुम्हें गाली देंगे, तुम्हारी निन्दा करेंगे, तो तुम्हें कैसा लगेगा ?’
पूर्ण’ भगवन्। मैं समझँगा कि वे बहुत भले लोग हैं; क्योंकि वे मुझे थप्पड़-घूंसे नहीं मारते।’
बुद्ध- ‘यदि वे तुम्हें थप्पड़-घूंसे मारने लगें तो ?’ पूर्ण – ‘मुझे पत्थर या डंडोंसे नहीं पीटते, इससे मैं उन्हें सत्पुरुष मानूँगा।’ बुद्ध- ‘वे पत्थर-डंडोंसे भी पीट सकते हैं।’
पूर्ण’ वे शस्त्रप्रहार नहीं करते, इससे वे दयालु हैं-ऐसा मानूँगा।’बुद्ध – ‘यदि वे शस्त्र प्रहार ही करें ?” पूर्ण— ‘मुझे वे मार नहीं डालते, इसमें मुझे उनकी कृपा दीखेगी।’ बुद्ध – ‘ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वे तुम्हारा वध नहीं करेंगे।’ पूर्ण—‘भगवन्! यह संसार दुःखरूप है। यह शरीर रोगोंका घर है। आत्मघात पाप है, इसलिये जीवन धारण करना पड़ता है। यदि ‘सुनापरंत’ (सीमाप्रान्त) के लोग मुझे मार डालें तो मुझपर वे उपकार ही करेंगे। वे लोग बहुत अच्छे सिद्ध होंगे।’
भगवान् बुद्ध प्रसन्न होकर बोले- ‘पूर्ण! जो किसी दशामें किसीको भी दोषी नहीं देखता, वही सच्चा साधु है। तुम अब चाहे जहाँ जा सकते हो, धर्म सर्वत्र तुम्हारी रक्षा करेगा।’- सु0 सिं0
One day a disciple named Purna of Lord Buddha came near him and after receiving the sermon from Tathagat, he asked permission to go to the ‘Sunaparant’ province for preaching religion. Tathagat said that the people of that province are very harsh and very cruel. How will you feel if they abuse you, criticize you?’
Complete God. I would understand that they are very nice people; Because they don’t slap or punch me.’
Buddha- ‘What if they start slapping you?’ Purna – ‘Don’t beat me with stones or sticks, because of this I will consider him a good man.’ Buddha- ‘They can beat even with stones and sticks.’
Purna ‘They don’t strike with weapons, that’s why they are kind-I will assume.’ Buddha – ‘If they strike with weapons at all?” Purna- ‘They don’t kill me, I will see their grace in this.’ Buddha – ‘It cannot be said that they will not kill you.’ Purna-‘Lord! This world is sorrowful. This body is the home of diseases. Suicide is a sin, so life has to be taken. If the people of ‘Sunaparant’ (border region) kill me, they will do me a favor. Those people are very good. Will be proven.
Lord Buddha was pleased and said – ‘ Complete! The one who does not see anyone as guilty in any situation, he is a true saint. Wherever you may go now, Dharma will protect you everywhere.’- Su0 Sin0