सरोयोगी अथवा पोयगै आळवार, भूतत्ताळवार और वार ये तीनों ही अद्भुत ज्ञानी एवं भगवान्के धक थे। ये निर्लोभी और भगवान्के गुणगानमें तन्मय रहते थे ये चाहते तो नरेशके कोषसे अगाध सम्पत्ति प्राप्त कर सकते थे, पर इन्हें सम्पत्तिका करना ही क्या था।
एक बार ये तीनों संत तिरुक्कोइलूर नामक क्षेत्रमें ये और वहीं तीनोंका एक साथ मिलन हुआ। इसके पूर्व ये लोग एक-दूसरे से सर्वथा अपरिचित थे। भगवानको पूजाके बाद रात्रिके समय सरोयोगी एक भक्तकी कुटिया में आकर लेट गये। वहाँ घना अन्धकार था और कुटिया बहुत छोटी थी। वे लेटे हुए भगवान्का ध्यान कर रहे थे कि सुनायी पड़ा-भीतर रातभर मुझे • आश्रय मिल सकता है क्या ?’ संतने तुरंत उत्तर दिया ‘अवश्य मिल सकता है। इस कुटियामें स्थान है-एक आदमी लेट सकता है और दो आदमी बड़े मजे से बैठ सकते हैं। आइये, हम दोनों बैठ रहें।’ आगन्तुक भीतर आया और परस्पर भगवच्चर्चा होने लगी। इसी बीचमेंपुनः शब्द सुनायी पड़ा-‘रातभरके लिये आश्रय मिल सकता है ?’ सरोयोगीने उत्तर दिया- ‘अवश्य आइये, इस कुटिया में इतना स्थान है कि एक आदमी लेट सकता है, दो बैठ सकते हैं और तीन खड़े रह सकते हैं।’ तीनों खड़े होकर भगवान्का ध्यान करने लगे। इन्हें लगा कि हम तीनोंके बीचमें कोई चौथा व्यक्ति खड़ा है। देखनेपर कोई दीखा नहीं। तब ध्यानके नेत्रोंसे देखा तो पता चला कि भगवान् श्रीनारायण हमारे बीचमें खड़े हैं। तीनों एक साथ ही भगवान्का दर्शन करके कृतार्थ हो गये। उनका जीवन सफल हो गया। भगवान्ने वर माँगनेके लिये कहा, तब तीनोंने कहा- ‘प्रभो! हम जीवनभर आपका गुणगान करते रहें; आप हमें यही वरदान दें कि हमसे आपका गुणगान कभी न छूटे।’ भगवान् ने कहा- ‘प्यारे भक्तो! मैं तुमलोगोंके प्रेममें इतना जकड़कर बँध गया हूँ कि तुमलोगोंको छोड़कर कहाँ जा सकता हूँ।’ उस समय इन लोगोंने भगवान्की सौ-सौ पद रचे, जो ‘ज्ञानका प्रदीप’ के नामसे प्रसिद्ध है। – शि0 दु0
Saryogi or Poyagai AzhwAr, BhoothAzhwAr and Vaar, all three were wonderful scholars and devotees of the Lord. He was greedy and used to praise God.
Once these three saints met together in an area called Tirukkoilur. Prior to this, these people were completely unknown to each other. After worshiping God, Saryogi went to the hut of a devotee and lay down at night. It was pitch dark there and the hut was very small. He was meditating on God while lying down that it was heard – Can I get shelter inside throughout the night?’ The saint immediately replied ‘Sure you can get it. There is room in this cottage – one man can lie down and two men can sit comfortably. Let us both sit down.’ The visitor came inside and mutual discussion started. In the meanwhile the word was heard again – ‘Can we get shelter for the night?’ Saryogi replied- ‘Of course come, there is so much space in this cottage that one man can lie down, two can sit and three can stand.’ All three stood up and started meditating on God. They felt that there is a fourth person standing between the three of us. No one was seen on seeing. Then when I looked with the eyes of meditation, I came to know that Lord Srinarayan is standing in our midst. All three were satisfied after seeing God at the same time. His life became successful. God asked to ask for a boon, then all three said – ‘Lord! Let us praise you all our lives; You give us this boon that we will never stop praising you. God said – ‘Dear devotees! I am bound so tightly in your love that where can I go leaving you.’ At that time, these people composed hundred verses of God, which is famous as ‘Gyanka Pradeep’. – Shi0 Du0