चक्रव्यूह

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चक्रव्यूह या पद्मव्यूह हिंदू युद्ध शास्त्रों मे वर्णित
अनेक व्यूहों (सैन्य-संरचना) में से एक है।
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चक्रव्यूह एक बहु-स्तरीय रक्षात्मक सैन्य संरचना है जो ऊपर से देंखने पर चक्र या पद्म की भाँति प्रतीत होती है इसके हर द्वार की रक्षा एक महारथी योध्दा करता है।

इस व्यूह का प्रयोग महाभारत में कौरवो के प्रधान सेनापति द्रोणाचार्य द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को बंदी बनाने हेतु हुआ था।

चक्रव्यूह की तरह और कितने,प्रकार के व्यूह होते है?

चक्रव्यूह मंड़ल व्यूह कौच व्यूह चक्रशटक
व्यूह वज्र व्यूह अर्धचन्द्र व्यूह।

निस्संदेह उस समय चक्रव्यूह ‘न भूतो न भविष्यति’
युद्ध तकनीक थी

अद्भुत प्रसंग -वैदिक पथिक
चक्रव्यूह नि:संदेह कुरुक्षेत्र की धरती पर 48×120 किलोमीटर क्षेत्रफल में लड़ा गया महाभारत का भीषण युद्ध विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था जिसमें भाग लेने वाले सैनिकों की संख्या अठारह अक्षौहिणी थी।

लोग परमाणु हथियारों समेत इतना भयंकर युद्ध इतिहास में केवल एक बार ही घटित हुआ है और इसमें सबसे भयंकर रचा गया रणतंत्र था ‘चक्रव्यूह’

चक्र यानी पहिया’ और ‘व्यूह यानी गठन-

पहिए की तरह लगातार घूमने वाले व्यूह को चक्रव्यूह कहते हैं और इस युद्ध का सबसे खतरनाक रणतंत्र यह चक्रव्यूह ही था,आज का आधुनिक जगत भी चक्रव्यूह जैसे रणतंत्र से अनभिज्ञ है,चक्रव्यूह या पद्मव्यूह को बेधना असंभव था,

द्वापर काल में केवल सात लोग (भगवान कृष्ण, अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा और प्रद्युम्न) ही इस व्यूह को बेधना जानते थे,अभिमन्यु केवल चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना ही जानता था।

सात परतों वाले इस चक्रव्यूह की सबसे अंदरूनी परत में शौर्यवान सैनिक तैनात होते थे,यह परत इस प्रकार बनायी जाती थी कि बाहरी परत के सैनिकों से अंदर की परत के सैनिक शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा बलशाली होते थे।

सबसे बाहरी परत में पैदल सैन्य के सैनिक तैनात हुआ करते थे,अंदरूनी परत में अस्र शस्त्र से सुसज्जित हाथियों की सेना हुआ करती थी,चक्रव्यूह की रचना एक भूल भुलैय्या जैसी हॊती थी जिसमें एक बार शत्रु फंस गया तो घनचक्कर बनकर रह जाता था। चक्रव्यूह में हर परत की सेना घड़ी के कांटे के जैसे हर पल घूमती रहती थी,इससे व्यूह के अंदर प्रवेश करने वाला व्यक्ति अंदर ही खॊ जाता और बाहर जाने का रास्ता भूल जाता था।

महाभारत में व्यूह की रचना गुरु द्रॊणाचार्य ही करते थे,चक्रव्यूह को युग का सबसे सर्वेष्ठ सैन्य दलदल माना जाता था, इस व्यूह का गठन युधिष्टिर को बंदी बनाने के लिए किया गया था,चक्रव्यूह को घूमता हुआ मौत का पहिया भी कहा जाता था।

एक बार जो इस व्यूह के अंदर गया वह कभी बाहर नहीं आ सकता था,यह पृथ्वी की तरह अपने अंक्ष में ही घूमता रहता था, चूंकि साथ साथ परिक्रमा करती हुई हर परत भी घूम जाती थी इस कारण बाहर जाने का द्वार हर समय अलग दिशा में बदल जाता था जो शत्रु को भ्रमित करता था,अद्भुत और अकल्पनीय युद्ध तंत्र था ‘

चक्रव्यूह,आज का जगत इतना आधुनिक होते हुए भी इस उलझे हुए और असामान्य रणतंत्र को युद्ध में नहीं अपना सकता है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संगीत या शंख के नाद के अनुसार ही चक्रव्यूह के सैनिक अपनी स्थिति को बदल सकते थे।

कॊई भी सेनापति या सैनिक अपनी मनमर्ज़ी से अपनी स्थिति को नहीं बदल सकता था जो अद्भुत अकल्पनीय था,ज़रा सोचिये सहस्त्रों वर्ष पूर्व चक्रव्यूह जैसे घातक युद्ध तकनीक को अपनाने वाले कितने बुद्धिमान रहें होंगे।

चक्रव्यूह ठीक उस आंधी की तरह था जो अपने मार्ग में आने वाली हर चीज को तिनके की तरह उड़ाकर नष्ट कर देता था। अभिमन्यु व्यूह के भीतर प्रवेश करना तो जानता था लेकिन बाहर निकलना नहीं जानता था।

इसी कारण कौरवों ने छल से अभिमन्यु की हत्या कर दी थी। माना जाता है कि चक्रव्यूह का गठन शत्रु सैन्य को मनो वैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना जर्जर बना देता था कि एक ही पल में हज़ारों शत्रु सैनिक प्राण त्याग देते थे।

कृष्ण, अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण,अश्वत्थामा और प्रद्युम्न के अलावा चक्रव्यूह से बाहर निकलने की रणनीति किसी के भी पास नहीं थी।

सदियों पूर्व ही इतने वैज्ञानिक रीति से अनुशासित रणनीति का गठन करना सामान्य विषय नहीं है। महा भारत के युद्ध में कुल तीन बार चक्रव्यूह का गठन किया गया था जिनमें से एक में अभिमन्यु की मृत्यु हुई थी।

केवल अर्जुन ने कृष्ण की कृपा से चक्रव्यूह को वेध कर जयद्रथ का वध किया था। हमें गर्व होना चाहिए कि हम उस देश के वासी हैं जिस देश में सदियों पूर्व के विज्ञान और तकनीक का अद्भुत निदर्शन देखने को मिलता है।

क्या हम सभी अभिमन्यु हैं।और अपने ही बने चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं?हर किसी को लगता है कि मैं एक चक्रब्यूह में फसा हूँ, दोस्त कोई चक्रब्यूह नहीं है।आपने कुछ गलत नहीं किया है तो हर पल मुक्त हैं। बंधन हमारे खुद बनाये झूठे बंधन है,हम हमेशा और सचमुच मुक्त हैं, हमें कोई नहीं बांध सकता है ( महागीता से) || अद्भुत चक्रव्यूह घातक व्यूह है ||

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