एक दिन की घटना है। एक छोटी सी लड़की फटे पुराने कपड़ो में एक सड़क के कोने पर खड़ी भीख मांग रही थी। न तो उसके पास खाने को था, न ही पहनने के लिए ठीक ठाक कपड़े थे और न ही उसे शिक्षा प्राप्त हो पा रही थी । वह बहुत ही गन्दी बनी हुई थी, कई दिनों से नहाई नहीं थी और उसके बाल भी बिखरे हुए थे।
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तभी एक अच्छे घर का संभ्रांत युवा अपनी कार में उस चौराहे से निकला और उसने उस लड़की को देखते हुए भी अनदेखा कर दिया। अंततः वह अपने आलीशान घर में पहुंचा जहाँ सुख सुविधा के सभी साधन उपलब्ध थे। तमाम नौकर चाकर थे, भरा पूरा सुखी परिवार था।
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जब वह रात्रि का भोजन करने के लिए अनेक व्यंजनों से भरी हुई मेज पर बैठा तो अनायास ही उस अनाथ भिखारी बच्ची की तस्वीर उसकी आँखों के सामने आ गयी। उस बिखरे बालों वाली फटे पुराने कपड़ों में छोटी सी भूखी बच्ची की याद आते ही वह व्यक्ति ईश्वर पर बहुत नाराज़ हुआ।
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उसने ईश्वर को ऐसी व्यवस्था के लिए बहुत धिक्कारा कि उसके पास तो सारे सुख साधन मौजूद थे और एक निर्दोष लड़की के पास न खाने को था और न ही वह शिक्षा प्राप्त कर पा रही थी । अंततः उसने ईश्वर को कोसा,” हे ईश्वर आप ऐसा कैसे होने दे रहे हैं ?” आप इस लड़की की मदद करने के लिए कुछ करते क्यों नहीं ?”
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इस प्रकार बोल कर वह खाने की मेज़ पर ही आंखें बंद करके बैठा था। वह बडबडा ही रहा था तभी सामने की कुर्सी पर बैठी उसकी नन्ही सी गुड़िया बोली – ” पापा ! क्या आपको ईश्वर ने नहीं बनाया ? क्या आप उसकी मदद नहीं कर सकते हो ?
अपनी बेटी के मुंह के यह सुनकर उस युवक को ऐसा लगा मानो घड़ों पानी बरस गया । यही उसकी बेटी के मुंह से ईश्वर बोल रहा था । वह बिना खाना खाए ही उठा और उस अजनबी लड़की की खोज में निकल गया ।
शिक्षा – दोस्तों ! मैंने ऐसे कई लोग देखे है जो संसार के दुखो को देखकर भगवान को कोसते है । लेकिन खुद कुछ नहीं करना चाहते । अगर उन्हें कुछ कह दो तो उल्टा हमें समझाने लगते है कि ” ईश्वर तो सब देख रहा है, फिर कुछ करता क्यों नहीं ।” अरे भाई ! यह मत भूलो की वह तुम्हे भी देख रहा है और सोच रहा होगा कि मेरा बनाया इंसान इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है ?