एक भक्त पृथ्वी माता से प्रार्थना करते मेरी अनजाने में पृथ्वी माता से रहती। हे पृथ्वी माता देख तुने मुझे अपनी गोद में बिठाया हुआ है। इस पहाड़ से शरीर का वजन तुम हर क्षण अपने ऊपर धारण करती हो। हे माता मै आपकी सेवा भी नहीं कर पाती हूँ मुझमें कोई शुभ गुण भी दिखाई नहीं देता है।
भगवान नाथ श्री हरी की भक्ति भी नहीं करती हूं मेरे विचार में शुद्धता भी नहीं है। फिर भी हे माता तुम अपने आंचल मे मुझे समेट कर रखती हो। मेरे पाप कर्म भी बहुत रहे होंगे ऐसे में हे माता मै तुम पर भार रुप ही हूँ।
मेरे द्वारा किसी का कल्याण भी नहीं हो सकता है हे माता परमात्मा ने मुझे किस लिए जन्म दिया है। फिर हाथ जोड़कर पृथ्वी माता से पुछती मां बताओ मेरे जन्म का कारण तो बताओ।
भगवान भक्त को आसुं बहाने नहीं देते हैं भक्त के पास आंसू बहाने का समय कंहा हैं। भक्त भगवान से एक पल के लिए भी अलग नहीं है उसके रोम रोम में भगवान की झनकार है। भक्त के दिल आनंद से भरा हुआ है भक्त आनंद को पृथ्वी माता को समर्पित करते हुए प्रार्थना करता है कि हे माता ऐसे तो मै भार रूप ही हूँ। हे माता तुम मेरे भार को हर क्षण धारण करती हो मै अभागिन आपकी कुछ सेवा भी नहीं करती हू हे पृथ्वी माता मेरे द्वारा किसी का किसी प्रकार से कल्याण नहीं है। हे माता दिल में थोड़ी आनंद की ये भेट लाई हूं।
हे माता यह भगवान श्री हरि का प्रेम तुम्हारे चरणों में समर्पित है। हे माता मुझ से बहुत भुल हुई होगी। एक भक्त के पास जो कुछ होता है वह माता के चरणों में समर्पित कर देता है।भक्त के दिल में यह भाव बार उठता है कैसे माता पृथ्वी ने अपनी गोद में मुझे लिया हुआ है माता तुम क्षमा की दातरि हो प्रेम तुझमे बहता है। माता हरि चुनङी तुम्हारी शोभा बढाती है तुम्हारे चरणों में सो सो बार प्रणाम है।
जय श्री राम अनीता गर्ग