मन को राम राम सुनाओ हम सोचते हैं कि मै राम को भजता हूँ राम मेरे सब काम कर देंगे राम बोलते ही राम आप के अन्तर्मन को आनंदीत करते हैं भगवान के प्रेम भाव को महसूस करना भगवान की कृपा है
अ प्राणी तु अन्दर के प्रभु प्रेम भाव को जाग्रत करले अन्दर की जागृति बाहरी भाव को गौण कर देगी पठन पाठन सब भुल जाएगा अन्तर्मन की ध्वनि तृप्ति का मार्ग दिखाती है
। भगवान मुझे स्वर्ग से कोई वास्ता नहीं है मेरे नाथ मै आप को निहारना चाहता हूं। हर क्षण हर जन्म में आपकी भक्ति कर सकु।
अन्तर्मन से भगवान को भजने का अपना ही आनन्द है
मै तत्व शुन्यता को प्राप्त होता तब सबकुछ कृष्णमय है प्रभु प्राण नाथ के प्रेम से भक्त सरोबर होता है कुछ भी करते हुए भगवान के ध्यान में होता है।
मै नहीं है, जगत नहीं, तु ही तु है, सबकुछ ईश्वर है। ईश्वर प्रेम से आत्मा ओतप्रोत है।
मन को ज्ञान से खाली कर दो जब जब ज्ञान अधिक दिखाई दे मौन हो जाओ। जितने हम मौन होगे उतनी अधिक शुद्धता हमारे अन्तर्मन में प्रवेश कर जाएगी। शुद्धता ही सच्चा ज्ञान है।
जय श्री राम अनीता गर्ग