प्रभु संकीर्तन 17

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परमात्मा ने मनुष्य को  बनाते हुए मानव के अन्दर सबकुछ दे कर पृथ्वी पर भेजा है। मनुष्य ने अपनी दृष्टि बाहर की कर ली है। मनुष्य के कल्याण के लिए भगवान ने अनेक धर्म ग्रंथों की रचना की।मनुष्य जान पाए मै कोन हूँ।

वह बाहर ही भटकते हुए जीवन की शाम कर देता है। अन्तर्मन का दरवाजा खोल कर देख अ प्राणी तुझ में ईश्वर बैठा है। तु सन्त तु साधु तु परम से एकाकार हो सकता है। तु अपने आप को भी नहीं जान पाया है।

तेरा जीवन मृत्यु के समान हैं। तु शरीर भार को क्यों ढो रहा है। तु हल्का हो सकता है तु क्यों मैं मै की रट लगाता है। तुझ में मै नहीं है। तु किस से बात करना चाहता है। तु अपने से परिचित नहीं हैं। तु अपने अन्दर झांक तुझ में तेरा परमात्मा बैठा है। तु ईश्वर को जाने बैगर तु पार नहीं पा सकता है। जय श्री राम अनीता गर्ग



While creating man, God has given everything inside man and sent him on earth. Man has turned his vision outside. God created many religious books for the welfare of man. Let man know who I am.

He spends his life wandering outside. Open the door of your inner heart and see, O living being, God is sitting in you. You are a saint, you are a sage, you can be united with the Supreme. You haven’t even known yourself.

Your life is like death. Why are you carrying the body weight. You can be light, why do you mind me? I am not in you. Whom do you want to talk to? You are not familiar with yourselves. Look inside yourself, your God is sitting in you. You cannot cross without knowing God. Jai Shri Ram Anita Garg

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