प्रभु संकीर्तन 29

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एक सखी नाम रस के प्रेम को बताते हुए कहती हैं कि सखी धीरे-धीरे राधे राधे राम राम का नाम आनंद का बहता हुआ स्तोत्र है ।वह आनंद  शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता है  एक बार कुछ समय के लिए इस आनंद को छु कर देखो। कुछ समय नैन बन्द करके अपने दिल में अपने मन मे भगवान को महसूस कर के देखो आपकी हर कर्म और क्रिया में आन्नद झरता हुआ महसूस होगा। आप अन्तर्मन की आंखों से नृत्य करेंगे। जंहा कोई सम्बन्ध नहीं केवल परमतत्व परमात्मा का आनंद होगा।

हर सांस में तु है ये सांस तुझको अर्पण है। तु ही मेरा स्वामी तु ही भगवान् है। जय श्री राम अनीता गर्ग

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