*किसान-और-नाग*

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एक गरीब ब्राह्मण अपने खेत में बहुत मेहनत करता था। एक दिन वह थककर एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसे एक बिल के अंदर से एक नाग निकलता दिखाई दिया।

ब्राह्मण ने सोचा, “मुझे इस नाग की रोज पूजा करनी चाहिए। इस की कृपा से शायद मेरे खेतों में अच्छी फसल होने लगे।”

उस शाम उसने उस नाग को दूध अर्पित किया और कहां, “खेतों के रक्षक, मैं आपको यह दूध अर्पित कर रहा हूं। कृपया आप मुझ पर अपनी कृपा रखें।”

अगली सुबह जब ब्राह्मण आया तो उसने दूध के कटोरे में एक सोने का सिक्का पाया। ब्राह्मण रोज नाग को दूध चढ़ाता था और नाग कटोरे में एक सोने का सिक्का छोड़ जाता।

जल्द ही वह ब्राह्मण अमीर हो गया। एक दिन ब्राह्मण को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। उसने अपने बेटे से नाग को दूध अर्पित करने को कहा।

लड़के ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया। अगले दिन जब बेटा बिल के पास गया तो उसे सोने का सिक्का मिला।

लड़के ने सोचा, “इस बिल के अंदर जरूर बहुत सारे सोने के सिक्के होंगे। क्यों ना मैं नाग को मारकर सारे सोने के सिक्के निकाल लो।”

उस शाम को उसने सांप को लाठी से मारने की कोशिश की। नाग को गुस्सा आ गया और उसने लड़के को डस लिया। नाग के जहर से लड़का मर गया।

ब्राह्मण जब शहर से वापस आया तो उससे सारी घटना का पता चला। उसने नाग को कोई दोष नहीं दिया।

अगली शाम वह बिल के पास गया और उसने नाग को दूध अर्पित किया।

घायल नाग ने ब्राह्मण से क्रोधित होकर बोला, “तुम अपने बेटे की मौत के बारे में इतनी जल्दी भूल गए। और सोने के सिक्के की लालच में फिर यहां आ गए। मैं अब तुम्हारा दोस्त नहीं रह सकता। तुम यहां हर रोज श्रद्धा से नहीं बल्कि लालच की वजह से आते थे।”

नाग ने ब्राह्मण को एक हीरा दीया और दोबारा वहा आने से मना कर दिया।

मित्रों” मन के गहरे घाव कभी नही भरते..!!
🙏🏻🙏🏾🙏🏿जय जय श्री राधे🙏🏼🙏🏽🙏

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One Response

  1. Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?

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