मन मथुरा और तन वृंदावन ,नयन बहे यमुना जल पावन
रोम रोम बसे है गोपी ग्वाला ,धडकन जपती निशिदीन माला.
साँसो मे मुरली की सरगम ,प्राण तुम्ही हो ओ नंदलाला
मन पपिहा पी पी करै,हरदम रहै उदास ,
ना जाने कब बुझैगी प्रभु मिलन की प्यास
श्री ……….¸.•“”*•.¸ ..
*राधे राधे ……. ……..मुस्कुराते रहिये” 😊… आप सब का हर पल सुंदर व मंगलय हो”….🙏🥰🌹🌈☔🌈🌿🌹💦*