.
आनंदमय एवं सुखमय जीवन के लिए सर्व प्रथम हमें आत्म मंथन करने की बहुत बड़ी आवश्यकता है।
दुनिया में किसी मनुष्य को और कोई इतना परेशान नहीं करता जितना उसकी स्वयं की कमजोरी, गलत आदतें, व्यसन एवं स्वयं के दुर्गुण परेशान करते हैं। संसार की सारी बाधाओं ने किसी व्यक्ति को उतना दुःखी नहीं किया होगा जितना कि स्वयं की कमजोरियों ने।
कभी किसी दूसरे व्यक्ति ने आपको आपकी कमजोरियों की ओर ध्यान दिलाया भी होगा तो उसका आभार मानने की बजाय आप उस पर क्रोधित हो गए होंगे और आज तक उसे अपना शत्रु भी मान रखा होगा। इस दुनिया का बहुत मुश्किल कार्य अगर कोई है तो वह है स्वयं की कमजोरियों को पहचान लेना। आत्म निरीक्षण बड़ा कठिन है। स्वयं के दोषों को दूर करने का काम कोई साहसी ही कर सकता है। जीवन को सफलता और आनंद की ओर ले जाना है तो अपनी कमजोरियों की सूची बनायें और आज से ही उन्हें दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ*
जय श्री कृष्ण
ॐ नमः शिवाय
.