|| श्रीहरि: ||
व्रजवासियों के दुःख दूर करने वाले वीरशिरोमणि शयमसुन्दर ! तुम्हारी मन्द-मन्द मुस्कान की एक उज्ज्वल रेखा ही तुम्हारे प्रेमीजनों के सारे मान-मद को चूर-चूर कर देने के लिये पर्याप्त है ।
हमारे प्यारे सखा ! हमसे रूठो मत, प्रेम करो । हम तो तुम्हारी दासी हैं, तुम्हारे चरणों पर निछावर हैं । हम अबलाओं को अपना वह परम सुन्दर साँवला-साँवला मुखकमल दिखलाओ ।
प्रभु संकीर्तन 36
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