कल हृदय रो उठा जब जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने एक न्यूज चैनल पर एंकर से कहा – ‘मैं जन्म से दृष्टिहीन हूँ, फिर भी सभी वेद मुझे याद हैं । डेढ़ लाख से अधिक पन्ने कंठस्थ हैं। अब और कौन सा चमत्कार देखना चाहती हो बेटी इससे ज्यादा क्या कहूं जो भी बोलता हूं गीता, भागवत और रामायण सब बिना देखे कहता हूं कोई मेरे पास किताब नहीं है,
ये हमारे देश के महान सनातन धर्म की पहचान है इसलिए ऐसे पुरुष युग निर्माण के लिए होते हैं ऐसे गुरुओं को बार बार प्रणाम, शीष झुका कर
प्रभु संकीर्तन 35
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