भगवान जो इस संपूर्ण सृष्टि के रचनाकार हैं, हम सब के प्रेम के भूखे हैं। हालाकि उन्हें किसी भी बात की कोई कमी नहीं है परंतु फिर भी वह एक सच्चे भक्त के बगैर अपने को अधूरा मानते हैं।
इसीलिए भगवान गीता में भी अर्जुन से यह कहते हैं कि हे अर्जुन! जो भक्त प्रेम पूर्वक मेरी शरण को ग्रहण कर मेरी भक्ति करता है, वह मुझे सबसे अधिक प्रिय है।
अतः हम सबको चाहिए कि हम भगवान से अपने पूरे मन, बुद्धि और आत्मा से प्रेम करें और दिन भर उनको याद करते रहें। जय श्री कृष्ण ।